क्या है योजना में
स्टैंड-अप योजना के तहत आपके स्टार्टअप के लिए सरकार वित्तीय मदद करेगी। साथ ही आपको टैक्स में छूट का फायदा भी मिलेगा। कई बिजनेस ऐसे हैं जिसपर सरकार बेहद कम दरों पर लोन मुहैया कराती है। हालांकि इसके लिए आपके पास बिजनेस को लेकर यूनीक आइडिया होना चाहिए ताकि सरकार आपकी मांग पूरी कर सके। यूनीक बिजनेस आइडिया के लिए सरकार 55 फीसदी तक सरकारी मदद मुहैया कराती है।
यह केंद्र सरकार की एक योजना है जिसके अंतर्गत 10 लाख रुपये से 100 लाख रुपये तक की सीमा में ऋणों के लिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को प्रोत्साहन दिया जायेगा। इस योजना से ऐसे उद्यमियों को बड़ी संख्या में लाभ मिलने की संभावना थी।
क्या है सूरत-ए-हाल
राजधानी लखनऊ में बुक पब्लिशिंग का स्टार्ट-अप करने वाले सुमित कुमार ने बताया कि स्टार्ट-अप को लेकर केंद्र सरकार की योजना का लाभ बड़ी मुश्किल से ही मिल पाता है। साल 2015 में जब वह अपना स्टार्ट-अप शुरू कर रहे थे तो उन्हें सरकार की स्कीम के नाम पर केवल तीन लाख ही लोन मिल पाया जो कि एक बिजनेस को शुरू करने के लिए काफी नहीं था। उनके मुताबिक कई बार बैंक खुद सरकार की योजना की सही जानकारी कस्टमर को नहीं देते। कोई भी बैंक इस स्कीम के तहत ज्यादा लोन नहीं देना चाहता।
ऐसा ही हाल राजधानी लखनऊ में आईटी कंपनी चलाने वाले रौनक शर्मा का है। उनके मुताबिक जो सपने स्टार्ट-अप व मेक इन इंडिया के तहत दिखाए गए थे, वो पूरे नहीं हुए। खासतौर से यूपी में तो बहुत ही कम इसका फायदा हुआ। लोन एप्लाई करने के जाओ तो डाक्यूमेंट के इतने ज्यादा लफड़े हैं कि लोन ही नहीं मिल पाता।
चिनहट में सोशल इंटरप्राइज फर्म चलाने वाले मोहित वर्मा ने बताया कि सरकार की योजनाओं का चर्चा तो बहुत हुई थी लेकिन जमीनी हकीकत उसकी यह है कि लोगों को इसका कोई खास लाभ नहीं मिला है। उन्होंने भी अपने सेंटर को बढ़ावा सरकार की स्कीम का लाभ लेने की सोची लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
क्या है एक्सपर्ट्स की राय
आईईटी के प्रोफेसर बीएन मिश्रा का कहना है कि सरकार को इन योजनाओं को बढ़ावा देने के लिए अवेयरनेस प्रोग्राम भी शुरू करने चाहिए। कई लोगों को अभी यह नहीं पता कि लाभ लिया कैसे जाए। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए ताकि युवा इस योजना का लाभ ले सकें।
वहीं एकेटीयू के प्रोफेसर मनीष गौड़ के मुताबिक भारत में जो भी आईटी कंपनियां हैं वह ज्यादातर यूके या यएस से प्रोजेक्ट लेती हैं। वहीं हाल ही में यूएस में पॉलिसी शिफ्ट हुआ है। वहां के काम के लिए यहां कि कंपनियों को कॉनट्रेक्ट नहीं दिए जा रहे हैं। दूसरी तरफ हर फील्ड में सैचुरेशन पॉइंत आता है।
तकनीक बदल रही है, काम के तरीके भी बदल रहे हैं। इस कारण भी कई कंपनियां पुराने एम्पलॉयज को हटा रही है। वैसे यह निराशाजक है। हालांकि एग्रो-बेस्ड, प्रोग्रामिंग बेस्ड समेत तमाम सेक्टर हैं जिनमें ग्रोथ बढ़ने की भी उम्मीद है। अगर सरकार इस ओर ध्यान दे तो रोजगार बढ़ सकता है।
Source: Patrika.com