जहां तक रोज़गार का प्रश्न है तो काफी बड़ी मात्रा में लोग इस क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और अपना जीवन-यापन अर्जित कर रहे हैं।
एक अनुमान के आधार पर करीब 8 से 10 करोड़ लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस क्षेत्र से अपना रोज़गार प्राप्त करते हैं।
इस क्षेत्र में काफी विविधताएं भी है, साथ ही साथ यह दो भागों में भी बंटा हुआ है- संगठित और असंगठित। असंगठित कार्य क्षेत्र में ज्यादातर छोटे और मझोले उद्योग (SMEs) के उत्पादन क्रय -विक्रय से जुड़े हुए हैं।
सकल घरेलू उत्पाद में जहाँ कपडा उद्योग का योगदान 5 प्रतिशत के करीब रहता है वहीं भारत के औद्योगिक उत्पादन में इसका योगदान 13 से 14 प्रतिशत के करीब तक होता है।
ज्योतिषीय गणनाओं को मूल रूप से देखें तो शुक्र का सीधा संबंध कपडे से जोड़ कर देखा जाता है।
बीते वर्षो में जब शुक्र रश्मियों का प्रभाव मण्डल पर आता दिखा तो उसी काल के दौरान उद्योग् में काफी अच्छी प्रगति हुई ख़ास तौर पर विदेश नीति के जरिये निवेश में भी वृद्धि दिखी।
सूर्य व् शुक्र की युति प्रभाव वश सरकारी व् सम्बंधित एकमो का सहयोग की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। सूर्य किरणें जहाँ प्रकाश की कारक है वही प्रगति से भी सम्बन्ध रखती है ।
सरकार द्वारा विशेष प्रोत्साहक योजनाओं का पदार्पण इन्ही योगों से जन्म लेने वाली संभावनाओं का दर्शन कराता है।
भारतीय कपडा क्षेत्र में 100 प्रतिशत FDI के निवेश की छूट का निर्णय सरकार द्वारा प्रोत्साहन नीति का ही एक भाग है।
साथ ही साथ अन्य कदम सीधे तौर पर उठाये गये जैसे निर्यात विशेष को ध्यान रख चयनित क्षेत्र का विकास करने को प्राथमिकता दिया जाना आदि।
सूर्य व् शुक्र का मेल काफी श्रेष्ठ माना गया जो की विकास के साथ-साथ नवीनता का भी द्योतक बनता है।वर्तमान काल को देखे तो शनि की मलिन अवस्था व् गुरु का केंद्राभिमुख होना कुछ अवरोध का कारण बना हुआ है जिससे नजदीकी दौर में एक कमज़ोर संभावना के तौर पर समझा जा सकता है।
कुछ समय के लिए अगर मंदी जैसी वर्तमान अवस्था को नजरंदाज कर दिया जाए तो लंबी अवधि में भारतीय ज्योतिष चक्र के अनुसार काफी अच्छी संभावनाएं कपड़े के उद्योग् से जुडी हुई हैं।
(उपरोक्त लेख मात्र वर्तमान स्थिति को समझने के लिए ज्योतिष संशोधन शोध का एक भाग है। इसके लेखक नवनीत ओझा ज्योतिष संशोधक एवं आध्यात्मिक साधक हैं। उपरोक्त व्यक्त किये गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।)