सेमीनार का उद्देश्य देश के कारोबारी माहौल का विश्लेषण करना है ताकि घरेलू और विदेशी निवेश का विस्तार हो सके।
OECD के विशेषज्ञ, विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के अधिकारी, भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के प्रतिनिधि, भारतीय रिजर्व बैंक, सेबी, कुछ कानून फर्म और उद्योग मंडल इस सेमिनार में भाग लेंगे।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार एफडीआई पॅालिसी मुद्दे के अलावा इस संगोष्ठी में विभिन्न मंत्रालयों के क्षेत्रीय मामले, बिज़नस क्लाइमेट, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के नियमों पर भी चर्चा की जाएगी।
पिछले कुछ सालों में, सरकार ने रक्षा, नागरिक उड्डयन, खुदरा, निर्माण, बैंकिंग और प्लांटेशन जैसे कई क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) नीति को उदारीकृत किया है।
देश में ईज आफ डूईंग बिज़नस को आसाना बनाया गया है जिससे एफडीआई को रफ्तार मिली है। इस साल अप्रैल-दिसंबर के दौरान देश में विदेशी निवेश 22 प्रतिशत बढ़कर 35.8 अरब डॉलर हो गया।
विदेशी निवेश भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है और देश को लगभग 1 ट्रिलियन यूएस डॉलर के करीब विदेशी निवेश की आवश्यकता है। जिससे बंदरगाहों, हवाई अड्डों और राजमार्गों के बुनियादी ढांचों के विकास को बढ़ावा दिया जा सके।