इसका कारण है कि स्टार्टअप को दिये जाने वाले फंड में देरी। सरकार ने स्टार्टअप्स के लिए 10 हजार करोड़ रुपए का फंड ऑफ फंड्स बनाया, जिसे 2025 तक स्टार्टअप को देना है।
इसके हिसाब हर साल करीब 1100 करोड़ रुपये का फंड स्टार्टअप को देना है ताकि नए आइडिया के साथ देश में बिजनेस की बुनियाद खड़ी हो सकें, मगर पिछले 15 माह में स्टार्टअप को मात्र 623 करोड़ रुपये का फंड दिया गया है।
फंड देने में देरी पर पीएमआे काफीे नाराज है आैर उसने वाणिज्य आैर वित्त मंत्रालय से पूछा है कि स्टाट्रअप को देने में देरी क्यों हो रही है। यही कारण है कि इस बारे में सिडबी आैर डीआईपीपी रिपोर्ट जल्द सरकार को सौंपेंगे।
सिडबी की ओर से सेबी रजिस्टर्ड ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स (AIFs) फंड बनने के बाद से अब तक 62 स्टार्टअप्स को ही फंड मिल पाया है। यह फंड AIFs को मिले इन्वेस्टमेंट के हिसाब से डिस्ट्रिब्यूट किया गया है।
डीआईपीपी और सिडबी ने 30 मार्च 2016 को 500 करोड़ रुपए जारी किए थे और दूसरे चरण में 10 मार्च 2017 को 123 करोड़ रुपए। यानी स्टार्टअप को अब तक विकसित करने करने के लिए 632 करोड़ रुपये दिये गये, जबकि यह आंकड़ा तय लक्ष्य से आधा है। गौरतलब है कि डीआईपीपी को मिले अब तक के आवेदनों में से 923 को स्टार्टअप्स के तौर पर माना गया है।
कई है खामियां
वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार स्टार्टअप योजना के क्रियान्वय की समीक्षा में कई तरह की खामियां पाई गई है, जिससे पीएमआे काफी नाराज है। फंड देने के मामले में देरी पर तो पीएमआे ने तुरंत कार्रवाई करते हुए वित्त मंत्रालय आैर वाणिज्य मंत्रालय से तुरंत रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
गौरतलब है कि जनवरी -2016 में जोर-शोर से लॉन्च हुआ स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम अब तक रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। स्टार्टअप को इससे मदद मिलने की बात तो दूर अभी तक सर्टिफिकेशन के लिए भी स्टार्टअप को पेचीदा प्रक्रिया से गुजरना पड़ रहा है।
कई बिजनेसमैन का कहना है कि स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम का फायदा उठाने के लिए सरकार से सर्टिफिकेट लेने की शर्त लगाई गई है। इसके लिए पेपरवर्क और डीआईपीपी की गाइडलाइंस पूरा करने में ही काफी लंबा समय लग रहा है। इसके लिए फंड मिलने में लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
क्रेडिट हेल्थ के फाउंडर रवि विरमानी का मानना है कि केंद्र सरकार ने स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम लॉन्च कर तो दिया है मगर इस में कई खामियां है। इस प्रोग्राम की सफलता के लिए जरूरी है कि इस की खामियों को दूर किया जाए।
Source: Economic Times