राष्ट्रीय स्तर पर धाक रखने वाले मुख्य कार्याधिकारियों के बीच बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा किए सर्वेक्षण में ज्यादातर ने कहा कि जीएसटी से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और महंगाई कम होगी, साथ ही इससे कारोबार को भी काफी बढ़ावा मिलेगा।
जीएसटी परिषद द्वारा वस्तुओं और सेवाओं की जीएसटी दरें तय किए जाने के बाद शनिवार को देश भर में 34 मुख्य कार्याधिकारियों के बीच सर्वेक्षण कराया गया। इसमें 88 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि वे 1 जुलाई से जीएसटी को लागू कररने के लिए तैयार हैं। 62 फीसदी सीईओ का मानना है कि जीएसटी का महंगाई पर सकारात्मक असर पड़ेगा और इसमें कमी आएगी। कई खाद्य उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है और अधिकांश आवश्यक जिंसों को 5 फीसदी कम दर के दायरे में शामिल किया गया है।
हालांकि मुनाफाखोरी-रोधी प्रावधान से इनपुट क्रेडिट या कर में रियायत का लाभ उत्पाद की कीमतें घटाकर ग्राहकों को देना होगा। 32 फीसदी प्रतिभागियों का कहना है कि कर अधिकारियों द्वारा इस प्रावधान के दुरुपयोग से उनका उत्पीडऩ हो सकता है, वहीं 21 फीसदी ने इसका जवाब देने से परहेज किया। सर्वेक्षण में शामिल 94 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि जीएसटी से अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ेगा।
मुख्य कार्याधिकारियों का मानना है कि जीएसटी उनके उद्योग और कंपनियों के लिए लाभकारी हो सकता है। करीब 65 फीसदी प्रतिभागियों ने कहा कि इससे उनके उद्योग को फायदा होगा और केवल 26 फीसदी ने अपनी कंपनियों पर जीएसटी के प्रतिकूल प्रभाव पडऩे की आशंका जताई।
गोदरेज समूह के सेवानिवृत्त चेयरमैन आदि गोदरेज ने कहा, ‘मैं जीएसटी को लागू करने को लेकर शुरू से ही बहुत आशावादी रहा हूं। नोटबंदी से जहां काले धन पर अंकुश लगाने में मदद मिली और मध्य एवं दीर्घावधि में विकास सुनिश्चित हुआ, वहीं जीएसटी के लागू होने से देश के आर्थिक विकास पर सकारात्मक असर पड़ेगा।’
अधिकतर कंपनियों ने कहा कि उन्होंने अपने यहां जीएसटी से संबंधित सॉफ्टवेयर लगाने और कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने के लिए कार्यकारी समूहों और बाह्यï सलाहकारों के समूह का गठन किया है। अगले दो से तीन महीने के दौरान बदलाव के दौर से गुजरना होगा, उसके बाद स्थिति सामान्य हो जाएगी। उद्योग जगत का कहना है कि एकीकृत जीएसटी आधुनिक विकसित अर्थव्यवस्था के लिए जरूरी है।
आरपीजी इंटरप्राइजेज के चेयरमैन हर्ष गोयनका ने कहा, ‘भारत की वैश्विक वाणिज्य एवं आर्थिक क्षेत्र में प्रबलता को देखते हुए हमें जीएसटी में पीछे नहीं रहना चाहिए। कंपनियों पर लघु अवधि में महंगाई और प्रतिकूल कर का बोझ बढ़ सकता है लेकिन बाद में पारदर्शिता, बेहतर कर क्रेडिट प्रणाली और सुगम प्रशासन से इसकी भरपाई हो जाएगी। यह उद्योग के लिए निश्चित तौर पर प्रगतिशील कर सुधार है।’
हालांकि मुख्य कार्याधिकारियों का कहना है कि दरों पर कुछ अधिक स्पष्टता होनी चाहिए। बायोकॉन की चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक किरण मजूमदार शॉ ने कहा, ‘एक ओर स्वास्थ्य देखभाल को कर दायरे से अलग रखा गया है, वहीं फार्मास्युटिकल उद्योग पर कुछ निश्चित कर की दर लगाई गई है। इसका क्या मतलब हैक्ै यह समझ में नहीं आ रहा।’ होटल उद्योग के मुख्य कार्याधिकारी पांच सितारा होटलों पर 28 फीसदी कर दर से पडऩे वाले असर को लेकर आशंकित हैं। उनका कहना है कि इससे मांग प्रभावित हो सकती है।
अग्रणी होटल शृंखला चलाने वाले एक मुख्य कार्याधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, ‘होटल उद्योग में जीएसटी किस तरह से काम करेगा यह देखना होगा क्योंकि किराये सीजनल आधार पर बदलते हैं और काफी छूट भी दी जाती है। इस मामले में स्पष्टïता होनी चाहिए।’ इनपुट कर क्रेडिट के बारे में पूछने पर 56 फीसदी मुख्य कार्याधिकारियों ने कहा कि वे इससे वाकिफ हैं, जबकि 28 फीसदी प्रतिभागियों ने इसमें और स्पष्टता की मांग की। शेष ने कोई जवाब नहीं दिया। सभी मुख्य कार्याधिकारियों ने एकमत से कहा कि जीएसटी की वजह से विनिर्माण संयंत्रों को कहीं और ले जाने की उनकी कोई योजना नहीं है।
Source: Business Standard