नई दिल्ली । सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (सीबीईसी) के चेयरमैन नजीब शाह ने कहा है कि जीएसटी लागू होने के बाद इंडस्ट्री को मिल रही ज्यादातर टैक्स छूट समाप्त हो जाएंगी। इंडस्ट्री को इसके लिए तैयारी कर लेनी चाहिए। हालांकि कुछ खास सेक्टर के लिए छूट अभी भी जारी रखी जा सकती है, लेकिन ज्यादातर छूट समाप्त हो जाएंगी।
शाह बृहस्पतिवार को पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा आयोजित नेशनल जीएसटी कॉन्लेव को संबोधित कर रहे थे।
कम टैक्स रेट से ज्यादा रेवेन्यू
इससे बाद दिल्ली के डिप्टी सीएम और फाइनेंस मिनिस्टर मनीष सिसोदिया ने कहा कि जितना टैक्स रेट जितने कम होंगे, उतना अधिक रेवेन्यू सरकार को मिलेगा। दिल्ली सरकार ने ऐसा करके भी दिखाया है। उन्होंने कहा कि वह जीएसटी काउंसिल में अपनी यह बात रख चुके हैं। साथ ही, उन्होंने लैंड और रियल एस्टेट को भी जीएसटी के दायरे में रखने की वकालत की।
ट्रेडर्स को विश्वास में लेना होगा
उन्होंने कहा कि जीएसटी कानून बनाते समय टैक्स कलेक्टर की तरह सोचा जा रहा है, जबकि ट्रेडर्स की तरह सोचना होगा। ट्रेडर्स को विश्वास में लेना होगा, यह समझना होगा कि ट्रेडर्स किस तरह का कानून चाहते हैं और कैसे वे आसानी से टैक्स देने के लिए तैयार रहेंगे।
टैक्स रेट कम रखा जाए
उन्होंने इंडस्ट्री से अपील की कि वे अपने प्रपोजल्स से दिल्ली सरकार को अवगत कराएं तो जीएसटी काउंसिल की अगली मीटिंग्स में वह खुद इंडस्ट्री की मांग को रखेंगे। सिसोदिया ने कहा कि कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर टैक्स रेट अधिक रखे गए तो जीएसटी का बेसिक परपज खत्म हो जाएगा।
रियल एस्टेट व लैंड को जीएसटी में शामिल करें
सिसोदिया ने कहा कि बड़ी हैरानी की बात है कि रियल एस्टेट व लैंड को जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है। जीएसटी काउंसिल में लगभग सभी सदस्य इस पर तैयार नहीं हैं। उन्होंने कहा कि इसकी बड़ी वजह यह हो सकती है कि रियल एस्टेट सेक्टर में रियल इन्वेस्टर्स से ज्यादा पैसा नेताओं और ब्यूरोक्रेटस का है और वे लोग नहीं चाहते कि रियल एस्टेट को जीएसटी में शामिल किया जाए। हालांकि उन्होंने कहा कि वह इस बार भी जीएसटी काउंसिल में बात रखेंगे कि रियल एस्टेट को जीएसटी में शामिल किया जाए।
एंटी प्रॉफिटीयरिंग क्लॉज क्यों
पीएचडी चैंबर के प्रेसिडेंट गोपाल जीवाराजका ने कहा कि इंडस्ट्री यह जानना चाहती है कि सरकार मुनाफाखोरी रोकने के लिए जीएसटी में जो क्लॉज ला रही है, उसका कारण क्या है, जबकि यह साफ है कि सभी प्रोडक्ट्स एवं सर्विसेज जीएसटी के दायरे में आ जाएंगी और उससे सरकार का रेवेन्यू बढ़ेगा। इस पर शाह ने कहा कि इंडस्ट्री ने एंटी प्रॉफिटीयरिंग क्लॉज के बारे में विस्तार से नहीं पढ़ा है, उन्होंने विश्वास दिलाया कि जीएसटी के बाद नए कानून को यूजर फ्रेंडली बनाया जाएगा।
क्या है कॉन् क्लेव के आयोजन का मकसद
चैंबर केइनडायरेक्ट टैक्स के चेयरमैन विमल जैन ने कहा कि जीएसटी ऐसा कदम है, जिससे इकोनॉमी को काफी फायदा होगा और इंडस्ट्री को भी फायदा होगा, लेकिन इसमें कुछ छोटी-छोटी खामियां हैं, जिसके लिए इस कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। खासकर, अब सरकार को फाइनल जीएसटी लॉ को पब्लिक डोमिन में लाना चाहिए, ताकि हम (इंडस्ट्री) देख सकें कि सरकार क्या-क्या करना चाहती है और हमें क्या क्या तैयारी कर लेनी चाहिए। यह भी सरकार को अब बता देना चाहिए कि किस गुड्स या सर्विस पर क्या-क्या टैक्स रेट अप्लाई होगा। इसके लिए सरकार को पहले इंडस्ट्री और ट्रेडर्स से बात करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कॉन्क्लेव में आने वाले प्रपोजल्स सरकार तक पहुंचाए जाएंगे, ताकि सरकार इन पर ध्यान दे सके।
Source: bhaskar.com