इसकी संभावना है कि यूनिफार्म टैक्स रेट की जगह, सेस (उपकर) और सरचार्ज सहित सर्विस टैक्स के तीन रेट लागू हों। इस टैक्स को लक्जरी, स्टैंडर्ड और बेसिक तीन भागों में बांटा जा सकता है।
इस मसले पर जीएसटी कौंसिल द्वारा गठित सचिवों की कमिटी में बातचीत हुई है। इस कमेटी में 9 राज्यों के फाइनेंस सेक्रेटरी और केंद्रीय रेवेन्यू सेक्रेटरी हसमुख अधिया शामिल हैं।
तीन रेट पर सहमति
यह लगभग तय है कि जीएसटी काउंसिल इस तीन रेट वाली सर्विस टैक्स व्यवस्था को पर अपनी सहमति दे दे। जीएसटी काउंसिल में 1 जुलाई, 2017 से जीएसटी को लागू करने पर पहले ही आम सहमति बन गई है।
यह भी संभावना जताई जा रही है कि 2017-18 के आम बजट में सरकार सर्विस टैक्स की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव ला सकती है।
पहली बार होगी सर्विस टैक्स की अलग-अलग रेट
अभी ग्राहकों को कुल सर्विस टैक्स 15 फीसदी देना पड़ता है। इसमें 14 फीसदी सर्विस टैक्स के अलावा 0.5 फीसदी ‘स्वच्छ भारत’ सेस और 0.5 फीसदी ‘कृषि कल्याण’ सेस शामिल है।
जीएसटी के लागू होने के बाद भारत के फाइनेंस इतिहास में यह पहली बार होगा जब सर्विस टैक्स की अलग-अलग रेट होगी। भारत में सर्विस टैक्स पहली बार 1 जुलाई, 1994 से लागू हुआ था। उस वक्त मनमोहन सिंह फाइनेंस मिनिस्टर थे।
इसी दौर में लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन द्वारा भारतीय इकॉनोमी में सुधार की प्रक्रिया शुरू हुई थी। सर्विस टैक्स को लगाने की सिफारिश टैक्स रिफार्म के लिए बनी ‘डॉ. राजा चैल्या कमिटी’ ने की थी।
इस बार के आम बजट में सर्विस टैक्स की नई संरचना के अलावा फाइनेंस मिनिस्टर इनकम टैक्स के रेट में भी बदलाव कर सकते हैं।
जीएसटी के तहत तीन तरह के सर्विस टैक्स के रेट के लागू होने पर यह उम्मीद की जा रही कि आवश्यक सेवाओं पर सर्विस टैक्स 12 फीसदी ही लगेगा।
Source: Firstpost