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MSME की परिभाषा अब रोजगार सृजन और टर्नओवर जैसे पैरामीटर पर: MSME सचिव

एमएसएमई मंत्रालय के मुख्य सचिव के के जालान ने कहा है कि केंद्र सरकार एमएसएमई क्षेत्र के विकास के लिए एमएसएमई सेक्टर की परिभाषा को पुनः पूंजी मापदंडो के अलावा अन्य पर संशोधित कर रही है। और इस सेक्टर की बेहतरी के लिए कार्य कर रही है।

जालान ने कहा कि अभी 10 लाख से लेकर 5 करोड़ तक व्यापार करने वाली यूनिट को एमएसएमई की परिभाषा के अंदर विभिन्न स्लैब में रखा जाता है।

सरकार ने एमएसएमई क्षेत्र में रोजगार बढ़ाने व इस क्षेत्र को परिभाषित करने के लिए रोजगार सृजन और टर्नओवर जैसे पैरामीटर शामिल करने की योजना बनाई है।

जालान ने इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स और एफआईईओ द्वारा आयोजित किए गए समारोह इंडो-यूएस ट्रेड में कहा कि एमएसएमई की भूमिका तेजी से रोजगार सृजन में बढ़ रही है जो कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है। यह सेक्टर कृषि के बाद रोजगार पैदा करने में दूसरे स्थान पर आता है।

उन्होंने कहा कि विश्व व्यापार संगठन में विकसित देश एमएसई फोरम को रोजगार सृजन करने वाले क्षेत्र के रुप में लाने के लिए उत्सुक हैं। यह एक स्वागत योग्य कदम है कि भारत श्रम मुद्दों को लेकर काम कर रहा है।

जालान ने कहा कि श्रम मुद्दों पर चिंता के कारण भारत विश्व व्यापार संगठन में एक एमएसई फोरम करने के पक्ष में नहीं है। एमएसएमई क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियां क्रेडिट प्रवाह, प्रौद्योगिकी विकास, कुशल मानव संसाधन, विनियामक अनुपालन और सकारात्मक कार्रवाई है। अमेरिका इन सभी मुद्दों पर भारतीय एमएसएमई को मदद कर सकता है ।

भारत ऑटोमोबाइल क्षेत्र का अनुकरण करते हुए यूएस एमएसएमई उत्पादन के लिए एक लागत प्रभावी आधार हो सकता है। इंडो यूएस फोरम दोनो देशों की एमएसएमई के लिए लाभकारी होगा।