आज की मौद्रिक नीति समीक्षा की दो अहम बातें यह हैं कि रिजर्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष 2018-19 के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट 8.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। उधर, रियल एस्टेट इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट (REIT) को भी मंजूरी मिल गई है। इससे रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। ताजा मौद्रिक नीति के ऐलान के बाद से शेयर मार्केट में बढ़त देखी जा रही है।
मौद्रिक नीति समीक्षा की मुख्य बातें
► एमपीसी ने ब्याज दरों में बदलाव नहीं करने का फैसला किया।
► कैश रिजर्व रेशो (सीआरआर) बिना बदलाव के 4 प्रतिशत पर बरकरार।
► एलएएफ कॉरिडोर अजस्ट करने के लिए रिवर्स रीपो रेट बढ़ाया।
► वित्त वर्ष 2018 में जीवीए ग्रोथ 6.7% के मुकाबले 7.4% रहने का अनुमान।
► एमएसएफ, बैंक रेट 6.75% से घटकर 6.50% हुआ।
► सरप्लस लिक्विडिटी फरवरी से नियंत्रण में: RBI
► मार्च तक सिस्टम से 3.1 लाख करोड़ रुपये की लक्विडिटी वापस होगी: RBI
► सरप्लस लिक्विडिटी वापस लेंगे, 3-4 सप्ताह में कम होगी लिक्विडिटी: RBI
► Forex से सरप्लस लिक्विडिटी एमएसएस का इस्तेमाल: RBI
► अप्रैल-सितंबर में सरकारी खर्च बढ़ने की आशंका।
► वित्तीय साक्षरता परियोजना जल्द शुरू की जाएगी।
► ग्रोथ के लिए PSU बैंकों को पूंजी जरूरी।
किसानों की कर्ज माफी रिजर्व बैंक के लिए चिंता का विषय है?
►कर्ज माफी से नैतिक खतरा बढ़ता है: उर्जित पटेल
►कर्ज माफी से बैंकों की परेशानी बढ़ती है: उर्जित पटेल
►करदाताओं पर बोझ बढ़ता है: उर्जित पटेल
►कर्जमाफी का वादा नहीं करने पर सहमति बनना जरूरी: उर्जित पटेल
दरअसल, विशेषज्ञों ने पहले से ही अनुमान जताया था कि केंद्रीय बैंक 2017-18 की इस पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर को वर्तमान स्तर पर बनाए रखेगा क्योंकि मुद्रास्फीति का दबाव है। विशेषज्ञों ने मौजूदा ब्याज दर बरकरार रखने की संभावना के पीछे अमेरिका में ब्याज दर में वृद्धि को बड़ी वजह बताया और कहा कि भविष्य में नीतिगत ब्याज दर बढ़ सकती है जो घरेलू एवं बाह्य कारकों पर निर्भर करता है।
यह छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की चौथी द्वीमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा है। मौद्रिक नीति समिति में सरकार द्वारा नामित सदस्यों में चेतन घाटे, पामी दुआ, रवीन्द्र एच ढोलकिया शामिल हैं, जबकि रिजर्व बैंक की तरफ से गवर्नर उर्जित पटेल, मौद्रिक नीति प्रभारी डेप्युटी गवर्नर विरल ए आचार्य और बैंक के कार्यकारी निदेशक इसके सदस्य हैं।
Source: navbharattimes