कॉमर्स और इंडस्ट्री मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने कहा है कि विदेश व्यापार नीति (एफ़टीपी) का मुख्य लक्ष्य छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) के निर्यात और उच्च रोजगार की क्षमता के साथ निर्यात को बढ़ावा देना है। संशोधित विदेशी व्यापार नीति को वस्तु एवं सेवा कर जीएसटी से पहले लाया जाएगा।
सीतारमण ने कॉमर्स मिनिस्ट्री और रिसर्च एंड इंफोर्मेशन सिस्टम फॅार डेवलपिंग कंट्रीस् द्वारा आयोजित की गयी एफटीपी 2015-2020, की मध्यकालिक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। मीटिंग में उद्योग, शिक्षा, अनुसंधान और सरकार की व्यापार नीतियों के विशेषज्ञ शामिल हुए।
बैठक में सबसे ज्यादा इस बात पर चर्चा हुयी कि किस प्रकार रुपये के व्यापार को बढ़ाया जाए, निर्यात और आयात को कैसे सुविधाजनक बनाया जाए तथा क्रेडिट की लागत को किस तरह से कम कर सकते हैं।
प्रतिभागियों ने उच्च विदेशी मुद्रा की कमाई के लिए पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों से संबंधित सेवाओं में रोजगार पैदा करने की क्षमता का इस्तेमाल करने की सिफारिश की।
जीएसटी से संबंधित मुद्दों और निर्यात पर इसके असर को लेकर भी बात उठाई गई। मंत्री ने कहा कि वाणिज्य विभाग ने पहले ही राजस्व विभाग (डीओआर) के साथ इन मुद्दों को उठाया है और यह आश्वासन दिया कि वह डीओआर के साथ इन मुद्दों को हल करने के लिए जीएसटी परिषद के सामने रखेगा। निर्यात प्रतिस्पर्धा के लिए लोजिस्टिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी चर्चा हुई।
एफटीपी 2015-2020 की मध्य अवधि की समीक्षा जनवरी, 2017 में वाणिज्य विभाग द्वारा शुरू की गई थी।