लघु उद्योग भारती ने की मांग
5 करोड़ रुपए के टर्नओवर वाले कारोबारियों को सेंट्रल जीएसटी से छूट दी जाए। मंथली रिटर्न की बजाय साल की एक रिटर्न भरने की व्यवस्था की जाए। कई प्रोड्यूस ऐसे हैं, जिनमें एग्रीकल्चर प्रोड्यूस प्रमुख है, को मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री में इस्तेमाल करने पर सेंट्रल एक्साइज में छूट दी जाती है, लेकिन इन्हें जीएसटी में भी छूट मिलनी चाहिए। जीएसटी से छोटे कारोबारियों को होने वाले नुकसान के लिए इन्सेंटिव दिए जाएं।
पांच लाख रुपये तक की इनकम पर छूट और 10 लाख रुपए तक की इनकम पर 10 फीसदी टैक्स लिया जाए और माइक्रो एवं स्मॉल इंडस्ट्री के लिए इनकम टैक्स में छूट की अलग व्यवस्था की जाए। एमएसई पर लगने वाला मिनिमम अल्टरनेटिव टैक्स को हटाया जाए। लोगों को बिजनेस के लिए प्रोत्साहित करने के लिए इन्वेस्टमेंट अलाउंस दिया जाए। छोटे कारोबारियों को लोन देने के लिए बैंकों पर दबाव बनाया जाए।
ये हैं फिस्मे के प्रपोजल
फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (फिस्मे) ने भी अपने प्रपोजल फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली को भेज दिए हैं। फिस्मे ने कहा है कि अगर सरकार मेक इन इंडिया अभियान को सफल बनाना चाहती है तो उसे तय करना होगा कि छोटे कारोबारियों को आसानी से लोन मिले और वे अपनी मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी बढ़ा सकें।
बैंकों को एमएसएमई सेक्टर के लिए विशेष फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स लॉन्च करने चाहिए। छोटे कारोबारी सबसे अधिक रोजगार देते हैं, इसलिए सरकार छोटे कारोबारियों को इन्सेंटिव दे। इंडिविजुअल टैक्स पेयर्स की तरह छोटे कारोबारियों के लिए भी स्लैब्स की घोषणा की जाए।
दोनों पहलुओं पर विचार करे सरकार
पावर टू एसएमई के फाउंडर और सीइओ आर. नारायण का कहना है कि सरकार को एसएमई सेक्टर के नीतिगत विकास के लिए दो पहलुओं पर विचार करना चाहिए। सरकार को ऐसे रिफॉर्म पर बल देना चाहिए, जो न केवल मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नए बिजनेस को बढ़ावा दें, बल्कि मौजूदा एसएमई यूनिट्स के लिए भी फायदेमंद हों।
सरकार यह सुनिश्चित करें कि यह सेक्टर जीएसटी, डिमोनिटाइजेशन, डिजीटल इंडिया, मेक इन इंडिया सहित सरकार की सभी बड़ी योजनाओं में शामिल हो सकें।
Source: Money Bhaskar