सिटीबैंक, यस बैंक और रेटिंग एजेंसी क्रिसिल को ये उम्मीद बंधी है कि आरबीआई अगली पॉलिसी मीटिंग में रेट घटा सकता है। इन तीनों ने अप्रैल की पॉलिसी मीटिंग के वक्त उम्मीद जताई थी कि 2017 के बाकी समय के लिए रेट जस का तस रह सकता है।
अर्थशास्त्रियों के रुख में बदलाव आने की बड़ी वजह आरबीआई का महंगाई के अनुमान में भारी कमी करना है। उसने इस पॉलिसी रिव्यू में मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही के लिए अपने इन्फ्लेशन टारगेट को घटाकर 2-3.50% कर दिया है। उसने अप्रैल की फिस्कल पॉलिसी में पहली छमाही में महंगाई 4.5 पर्सेंट रहने का अनुमान दिया था। उसने दूसरी छमाही के लिए महंगाई अनुमान को भी पहले के 5% से 50 बेसिस पॉइंट घटाकर 3.5-4.5% कर दिया है।
यस बैंक की चीफ इकॉनमिस्ट सुभदा राव ने कहा, “हमने अपना फोरकास्ट चेंज कर दिया है क्योंकि आरबीआई का अपना इन्फ्लेशन सिमुलेटर गिरावट आने का संकेत दे रहा है। कमोडिटी के दाम में बढ़ोतरी, मॉनसून और रीमॉनेटाइजेशन का जोखिम घट रहा है।
हम उम्मीद कर रहे थे कि महंगाई दर मई, जून और जुलाई में औसतन 2.3% रह सकती है। इसलिए हमें अब लगता है कि अगस्त में आरबीआई 25 बेसिस प्वाइंट का रेट कट कर सकता है।”
सिटीबैंक ने पहले अनुमान लगाया था कि आरबीआई 2017 में रेट कट नहीं करेगा, लेकिन अब मौजूदा वित्त वर्ष में 50 बेसिस पॉइंट्स की कटौती होने का मौका है। इसमें 25 पॉइंट्स की कटौती अगस्त में हो सकती है क्योंकि अप्रैल में महंगाई में तेज गिरावट आने का मतलब यह है कि अब औसत महंगाई पहले के 4.8% के अनुमान के मुकाबले 4% रहेगी।
इसी महीने जारी आंकड़ों के मुताबिक कन्ज्यूमर इन्फ्लेशन अप्रैल में घटकर 2.99% रह गई, जो मार्च में 3.89% थी। सरकार ने इसके लिए नई डेटा सीरीज जारी की है और बेस इयर 2004-05 से बदलकर 2011-12 कर दिया है।
कम महंगाई के चलते क्रिसिल को भी अब लगने लगा है कि अब रेट जस का तस नहीं रहेगा। इसमें कमी होने की संभावना बढ़ गई है।
उसके अर्थशास्त्रियों के नोट के मुताबिक, ‘हमने फूड इन्फ्लेशन में आई कमी को देखते हुए फिस्कल इयर 2018 के लिए इन्फ्लेशन पर अपना अनुमान घटाकर पहले के 5% से घटाकर 4% कर दिया है। अगस्त की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की रिव्यू मीटिंग में रीपो रेट 25 बेसिस पॉइंट्स घटाए जाने की संभावना बढ़ गई है।’
Source: Economic Times