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गुड न्यूज़: रिकवरी मोड में आई SME इकाइयों की लोन डिमांड

डीमॉनेटाइजेशन के चलते छोटे कारोबारियों के धंधे पर बड़ी चोट लगी थी। इनकी सेहत में पिछले एक क्वॉर्टर से सुधार होता नजर आ रहा है। उनकी तरफ से आ रही लोन की डिमांड से तो ऐसा ही लग रहा है।

बैंकों को अनसिक्योर्ड बिजनेस लोन पोर्टफोलियो में पिछले तीन महीनों में 15 से 18 पर्सेंट ग्रोथ हासिल हुई है। इस तरह के लोन छोटे कारोबारियों के लिए जीवनदायिनी साबित होते हैं।

कोटक महिंद्रा बैंक की कंज्यूमर बैंकिंग प्रेसिडेंट शांति एकांबरम ने कहा, “डीमॉनेटाइजेशन के बाद इस बिजनेस सेक्शन में सुस्ती का जोर था, लेकिन छोटे अनसिक्योर्ड बिजनेस लोन की डिमांड लगातार 15 से 18 पर्सेंट की रफ्तार से बढ़ रही है।”

पिछले साल नवंबर में बड़ी करेंसी बंद किए जाने के बाद से लोन की डिमांड में नियमित रूप से बढ़ोतरी हो रही है।

सिस्टम से कैश निकालकर उसकी जगह प्लास्टिक मनी का चलन बढ़ाने की सरकार की कोशिश से इस सेगमेंट को सबसे ज्यादा चोट पहुंची है क्योंकि इसमें ज्यादातर लेनदेन कैश में होता है। सिस्टम में जैसे-जैसे कैश बढ़ रहा है और कारोबारियों की तरफ से डिजिटाइजेशन बढ़ रहा है, उसी तररह हालात सामान्य स्थिति में आने लगे हैं।

एकांबरम ने कहा, “वे आमतौर पर वर्किंग कैपिटल की जरूरत पूरी करने के लिए यह लोन लेते हैं। अनसिक्योर्ड लोन आमतौर पर शॉर्ट टर्म लोन होते हैं और इनको अमॉर्टाइज किया जाता है। इसलिए वे अपने बिजनेस साइकिल के हिसाब से इस फंड का इस्तेमाल करते रहते हैं।”

वैसे तो बैंक इस सेगमेंट को लोन बांटने के लिए अपने लेवल पर ड्यू डिलिजेंस करते हैं और फैसले लेते हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से बाजार में ऐसे टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म सामने आए हैं, जो एसएमई सेगमेंट को आसानी से लोन पाने में मदद कर रहे हैं।

छोटी और मझोली कंपनियों को बैंकों और एनबीएफसी से आसान लोन हासिल करने में मददगार ऑनलाइन प्लेटफॉर्म कॉइनट्राइब के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर रोहित लोहिया ने कहा, “लगभग 30 से 35 करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों की तरफ से छोटी रकम के अनसिक्योर्ड लोन की डिमांड में तेज उछाल आया है।”

सरकार ज्यादा से ज्यादा डिजिटाइजेशन पर जोर दे रही है। ऐसे में बैंकरों का कहना है कि अगर एसएमई सेक्टर को दिया जानेवाला लोन फॉर्मल बैंकिंग चैनल के जरिए हो तो उनके लिए इन कारोबारियों को लोन बांटना आसान हो जाएगा।

एकांबरम कहती हैं, “इकोसिस्टम में बहुत से प्लेयर्स हैं। उन सबको बस डिजिटल पेमेंट में लेनदेन शुरू करने की जरूरत है। मुझे लगता है कि पूरा ईकोसिस्टम कैश में डील करने का आदी हो चुका है। पूरी चेन को बदलने की जरूरत है और इसमें थोड़ा वक्त लगेगा।”

बैंकर्स के मुताबिक 2016 में अंतिम कुछ महीनों में डिजिटल ट्रांजैक्शंस में तेज उछाल आया। सिस्टम में कैश आने से इस साल उनमें सुस्ती आ रही है।

(प्रतीक भक्ता)

Source: Economic Times