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बिहार: बजट 2017-18 पर उद्योग संघठनों की मिली-जुली प्रतिक्रिया

बिहार की महागंठबंधन सरकार ​की ओर से ​27 फरवरी को वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए​ बजट पेश किया गया। वित्त मंत्री अब्दुल बारी सिद्दीकी ने सदन में 2017-18 का बजट पेश करते हुए कई बातें कहीं।

लगातार दूसरा बजट पेश करते हुए सिद्दीकी ने दावा किया कि नोटबंदी समेत तमाम तरह की मुश्किलों का सामने करने और कई तरह की कमियों  के बाद भी राज्य सरकार का वित्तीय प्रबंधन ठीक रहा। अगर बिहार को केंद्र सरकार से अपेक्षित मदद मिलती, तो राज्य की अर्थव्यवस्था ज्यादा बेहतर हो सकती थी।

हालाँकि उद्योग संघठनों की इस बजट को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली है।

उद्योगों के लिए कुछ विशेष नहीं: बीआइए 

बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष संजय गोयकना ने बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो उम्मीद उद्यमियों ने लगायी थी, उस पर सरकार ने कुछ विशेष प्रावधान नहीं किया है। बजट में वित्त मंत्री ने पिछले साल की तुलना में 22 हजार करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की है जो लगभग 15 फीसदी है। बजट में स्वास्थ्य, शिक्षा, सात निश्चिय के क्षेत्र में सरकार ने विशेष ध्यान दिया है जो सकारात्मक पहल है। इसका लाभ आम लोगों को मिलेगा। उन्होंने बताया कि उद्योग के क्षेत्र में सात फीसदी की बढ़ोतरी की है जो पर्याप्त नहीं है। इससे औद्योगिक विकास की रफ्तार कम हो जायेगी।

एसोसिएशन उपाध्यक्ष संजय भरतिया ने कहा कि सरकार ने इस वर्ष से उद्योगों को ऊर्जा के मद में दी जाने वाली सहायता अनुदान को वापस ले लिया है। अत: हम सरकार से यह अपेक्षा करते हैं कि सरकार उद्योगों को दी जानेवाली बिजली की कीमत में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं करे। ताकि हमारे राज्य के उद्योग का उत्पादन लागत संतुलित रह सके।

बजट राज्य के चहुमुखी विकास के लिए समर्पित: चैंबर 

बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने राज्य के बजट में पिछले वर्ष की तुलना में अपेक्षाकृत वृद्धि किये जाने पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए आशा व्यक्त की है कि बजट में करीब 17 फीसदी की वृद्धि से राज्य के विकास कार्यों में गति मिलेगी।

साथ ही उन्होंने कहा कि राज्य के सर्वांगीण विकास के लिए मुख्यमंत्री की सात निश्चयों को कार्यान्वित कराने की दिशा में यह बजट काफी कारगर सिद्ध होगा।

चैंबर अध्यक्ष पी के अग्रवाल ने बताया कि राजकोषीय घाटे को कम से कम बिंदु तक लाये जाने के बजटीय उपाय, पांच हजार की आबादी पर बैंक की शाखा खोलना, अभियान चलाकर व्यवसायिक स्थलों मार्केट में पीओएस मशीनों की उपलब्धता सुनिश्चित कराना, स्टार्टअप पॉलिसी 2016 वेंचर फंड के तहत 500 करोड़ का आंवटन, सरकार के सात निश्चयों को समय सीमा  के भीतर पूरा कराने के बजटीय प्रावधान, बुनकरों एवं हस्तकरघा प्रक्षेत्र को प्रोत्साहन दिया जाना आदि घोषणा स्वागतयोग्य घोषणाएं हैं।

श्री अग्रवाल ने कहा कि उन्हें आशा थी कि राज्य के समुचित औद्योगिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस बजट में उद्योग विभाग को पिछले वर्ष की तुलना में कम से कम दोगुनी राशि का आवंटन किया जायेगा,लेकिन केवल 843 करोड़ का ही आवंटन किया है। समुचित आवंटन के अभाव में बिहार की समुचित औद्यौगिकरण का सपना साकार होने में कठिनाइयां आ सकती हैं।

उन्होंने बताया कि राज्य के उद्यमियों को  उम्मीद थी कि सरकार औद्योगिक प्रोत्साहन नीति 2016 की समीक्षा कर कम से कम 2011 की नीति के अनुरूप प्रोत्साहन औद्योगिक इकाइयों को उपलब्ध करायेगी, लेकिन उद्योग विभाग को यदि आशानुरूप राशि नहीं उपलब्ध करायी गयी।

श्री अग्रवाल ने आगे कहा कि औद्योगिक क्षेत्रों में जमीन के वर्तमान सर्किल रेट को घटाने की भी कोई घोषणा बजट में नहीं की गयी है।

घाटे का बजट है: पीएचडी चैंबर 

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष सत्यजीत सिंह ने कहा कि बिहार का बजट घाटे और कर के अनुपात में सकल घरेलू उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सफल रहा है। हालांकि यह आर्थिक लक्ष्य प्राप्त करने में सफल नहीं दिख रहा है।

Source: Prabhat Khabar