सरकार का कहना है कि देश की सब्जी, फल व अन्य खाद्य उत्पादों को खराब होने से बचाने के लिए राष्ट्रीय खाद्य पॅालिसी का बनना अत्यंत आवश्यक है। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी भी अपने “मन की बात” कार्यक्रम में खाने की बर्बादी पर चिंता जाता चुके हैं।
खाद्य प्रसंस्करण इकाईयों की स्थापना के लिए सरकार ने ब्याज दरों में छूट के साथ-साथ बिजली सब्सिडी व अन्य छूटों का एलान भी करेगी। वहीं यूनिट लगाने वालों को आर्थिक इंसेंटिव देने के लिए भी कहा है। नीति बनाने के लिए सरकार ने लोगों से उनके सुझाव मांगे हैं।
खाद्य मंत्रालय का कहना है कि नीति बनाने का मुख्य उद्देश्य किसानों को उनके उत्पादों का अच्छा मूल्य दिलाना व उपभोक्ता को कम दाम पर अच्छी गुणवत्ता वाले खाद्य पदार्थ मुहैया कराना है।
भारत दुनिया में खाद्य पदार्थें का उत्पादन करने के मामले में दूसरे स्थान पर है। दूध, केला, अमरुद, अदरक के उत्पादन में भारत प्रथम स्थान पर है।
खाद्य मंत्रालय का कहना है कि इतनी बड़ी मात्रा में प्रोडेक्शन होने के बावजूद केवल 10 प्रतिशत प्रसंस्करण हो पाता है। सब्जी व फल के मामले में यह 2 फीसदी है।
राष्ट्रीय नीति को राज्यों के साथ विचार विमर्श करके तैयार किया जाएगा। और किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिले इस बात का ध्यान रखा जाएगा।