इन 6 लेबर लॉ में सेल्फ सर्टिफाइ कर सकते हैं स्टार्टअप्स
-द बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स (रेग्युलेशन ऑफ इम्पलॉयमेंट एंड कंडीशन ऑफ सर्विस) एक्ट, 1996
-द इंटर-स्टेट माइग्रेट वर्कमैन (रेग्युलेशन ऑफ इम्पलॉयमेंट एंड कंडीशन ऑफ सर्विस) एक्ट, 1976
-द पेमेंट ऑफ ग्रेज्यूटी एक्ट, 1972
-द कॉन् ट्रैक्ट लेबर (रेग्युलेशन एंड अबोलिशन) एक्ट, 1970
-द इम्पलॉयमेंट प्रोविडेंट फंड्स एंड मिसलेनिअस प्रोविशन एक्ट, 1952
इसके अलावा, वाइटकैटेगरी इंडस्ट्रीज में आने वाले स्टार्टअप्स को एन्वायरमेंट लॉ में छूट दी गई है। इसमें वाटर (प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉलुशन) एक्ट, 1974 के अलावा दो अन्य प्रावधानों से छूट दी गई है।
सरकार ने जारी की एडवाइजरी
मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डेवलपमेंट एंड एंत्रप्रेन्योरशिप (MSDE) ने स्टार्टअप्स को सेल्फ सर्टिफाइ करने की मंजूरी देने के लिए एडवाइजरी जारी की है। यह एडवाइजरी अप्रेन्टस्शिप नियमों के तहत जारी की गई हैं।
12 राज्य पूरा कर रहे हैं एडवाइजरी
छह लेबर लॉ के तहत आने वाले सेल्फ सर्टिफिकेशन को 12 राज्यों को माना जा रहा है। इन राज्यों में छत्तीसगढ़, दिल्ली, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड, चंडीगढ़, गुजरात, दमन एंड दिव्यू, मि जोरम और त्रिपूरा हैं।
सरकार ने बनाया था फंड ऑफ फंड्स
सरकार की ओर से स्टार्टअप्स के लिए 10 हजार करोड़ रुपए का फंड ऑफ फंड्स बनाया था जिसे सिडबी मैनेज कर रहा है। यह फंड सेबी रजिस्टर्ड वीसी फंड्स में इन्वेस्ट करेगा जो भी बाद में स्टार्टअप्स में इन्वेस्ट करेगा। हालांकिइस मेगा फंड का फायदा लोगों तक पहुंच ही नहीं पाया है।
टैक्स बेनेफिट का फायदा
सरकार ने बजट 2017-18 में कहा कि स्टार्टअप्स अब पहले 7 साल के कारोबारी ऑपरेशन में से तीन साल तक टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं। इससे पहले यह समय सीमा 5 साल में से 3 साल की थी। ऐसे कारोबारियों को अपने वेंचर को प्रॉफिट में आने के लिए ज्यादा वक्त दिया गया है। इसका दूसरा फायदा कारोबारियों की कॉस्ट में बचत का है। जो पैसा वह टैक्स देने में बचाएंगे वह उस पैसा का इस्तेमाल अपनी कंपनी को बढ़ाने में लगा सकते हैं।
इनको कहा जाता है स्टार्टअप्स
सरकार ने स्टार्टअप पॉलिसी के तहत कहा था कि केवल उन कंपनियों को स्टार्टअप माना जाएगा जिनको बिजनेस करते हुए 5 साल से ज्यादा नहीं हुए हों, कंपनी 1 अप्रैल 2016 के बाद बनी हो, उसका सालाना टर्नओवर 25 करोड़ रुपए से ज्यादा न हो। वह इनोवेनशन, डेवलपमेंट, नए प्रोडक्ट को कमर्शियल करने आदिकरने में शामिल हो। ऐसी कंपनियों को टैक्स बेनेफिट्स मिल सकते हैं।
Source: money.bhaskar