SMEpost

Biz Astro | डेयरी उद्योग की MSMEs निभा रहीं हैं इकॉनमी में अहम् योगदान

पारंपरिक रूप में एक महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला दुग्ध पदार्थ उद्योग (डेयरी उद्योग) वर्तमान में भी भारतीय अर्थ तंत्र में अपना काफी महत्व रखता है।

दूध की नदियों के बहने की गाथाएं जिस देश की संस्कृति में रम रही हो उसी देश को 1970 के दशक के पहले तक दुग्ध पदार्थों की कमी का सामना करना पड़ता था।

1970 में शुरू हुई बेहद ही अहम श्वेत क्रांति ने भारतीय जनता को दूध व् उससे संबंधित पदार्थों की कमी से काफी बड़ी निजात दिलाई।

नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) जिसकी स्थापना में बहुत बड़ी भूमिका निभाई वर्गीज कुरियन ने। इन्हीं के प्रयासों की वजह से श्वेत क्रान्ति आयी जिसका मुख्य मकसद था दूध का उत्पादन बढ़ाना और किसानों को आर्थिक फायदा पहुँचाना। साथ ही साथ आम जनता को उचित दर पर उच्च गुणवत्ता के दूध की प्राप्ति कराना।

1970 में शुरु हुई इस क्रान्ति का सफर सफल रहा जिसके फलस्वरूप साल 2000 के आने से पहले ही भारत विश्व में दूध उत्पादन में अव्वल नंबर पर पहुँचने में कामयाब रहा।

जहाँ इस क्रांति के बल पर आम भारतीय को फायदा पहुंचा वहीँ दुग्ध उत्पादन में सम्मिलित छोटे व् मझोले किसानों को भी बहुत फायदा मिला।

को-ऑपरेटिव सोसाइटी जैसे संगठित समूहों का योगदान महत्वपूर्ण तो है ही पर फिर भी इस क्षेत्र में असंगठित समूह की मात्रा काफी है जिनकी संख्या लगभग 70 प्रतिशत से भी अधिक है।

ज्योतिषीय विश्लेषण की ओर जब कदम बढ़ाते है तो पाते है कि शुक्र या चंद्र विशेष तौर पर पारंपरिक ग्रंथो में दुग्ध के कारक माने गए है।

भारत की कुण्डली में ग्रह विशेष की कर्क राशि स्थिति होने से दुग्ध पदार्थो की महत्ता को स्वयं ही दर्शा देता है। चंद्र शुक्र का अति लक्ष्मी योग ज्ञात होने से बहुत ही शुभ संकेत मिल रहे थे, जिसके कारण इस उद्योग से जुड़े लोगों के लिए आर्थिक रूप से कुछ उत्तम जीवन शैली जी सके ऐसे ग्रह योगों के संकेत मिलते हैं।

परिस्थितिनुकूल योगों को ध्यान से देखें तो शुक्र चन्द्र की परस्पर मिश्रित रश्मियों से श्वेत क्रान्ति की सफलता में काफी बड़ा योगदान प्रतीत होती है विशेषकर बुधादित्य योग निर्माण से काफी बल मिल जाता है।

पूर्ण केंद्रासींन होते उदय हो रहे ग्रहों के सतत समीप आने से ही सरकार द्वारा भी रुचि का ख्याल आ जाता है।

भविष्य में जहां चंद्र ऊर्जा से ब्रह्माण्ड युक्त होने की संभावना बनती दिख रही है उसके साथ साथ बृहस्पति की पूर्ण चेतना इस राशि को स्पर्श करेगी जिसके फलस्वरूप दुग्ध उत्पादन से सम्बंधित उद्योगों को बल मिलता रहेगा ऐसी संभावनाओ से इंकार नही किया जा सकता।

इस क्षेत्र से जुड़े छोटे व् मझोले स्तर के उत्पादकर्ता व् आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े बड़ी मात्रा में असंगठित क्षेत्र के लोग भारतीय अर्थ तंत्र में काफी महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहे है वहीँ ज्योतिषीय गणनाओं के हिसाब से भी आने वाले संकेत सकारात्मक प्रतीत होते हैं।

(उपरोक्त लेख मात्र वर्तमान स्थिति को समझने के लिए ज्योतिष संशोधन शोध का एक भाग है। इसके लेखक नवनीत ओझा ज्योतिष संशोधक एवं आध्यात्मिक साधक हैं। उपरोक्त व्यक्त किये गए विचार लेखक के अपने विचार हैं।)