केंद्र और राज्य सरकार के कुल मिलाकर 84 लाख करदाता, जीएसटी के दायरे में आने के लिए प्रस्तावित हैं। इसमें से 60.5 लाख ने पहले ही अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। ध्यान रहे कि पूर्वोत्तर के आठ राज्यों (असम, त्रिपुरा, मणिपुर, नगालैंड, मिजोरम, सिक्कम, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय) के साथ जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 10 लाख से ज्यादा कारोबार करने वाले जीएसटी के दायरे में आएंगे जबकि बाकी राज्यों में ये सीमा 20 लाख रुपये है।
राजस्व सचिव हसमुख अढ़िया ने जीएसटी को लेकर सूचना प्रौद्योगिकी यानी आईटी की तैयारियों का जायजा लिया। उन्होंने तैयारियों पर संतोष जताया। बैठक में जानकारी दी गयी कि कुल 62,937 टैक्स अधिकारियों में से 24,668 को नयी कर व्यवस्था के लिए प्रशिक्षित किया जा चुका है जबकि बाकी को 15 जून तक करने का लक्ष्य है। प्रशिक्षण के जीएसटी नेटवर्क यानी जीएसटीएन पर रजिस्ट्रेशन, रिटर्न और भुगतान संबंधी व्यवस्था की पूरी जानकारी दी जा रही है। जीएसटीएन ने सॉफ्टवेयर का प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल करने की व्यवस्था 2 मई से शुरु की है जिसके तहत देश भर के 3200 करदाताओं को पूरी जानकारी दी जाएगी।
संविधान संशोधन विधेयक के बाद जीएसटी के लिए जरुरी चार विधेयक पर संसद की मुहर लग चुकी है और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अब ये कानून भी बन चुके हैं। वहीं 29 राज्यों और विधानसभा वाले दो केद्र शासित प्रदेश (दिल्ली और पुड्डुचेरी) में से आठ ने राज्य स्तर के जीएसटी कानून पर मुहर लगा दी है। बाकी जगहों पर उम्मीद है कि ये काम 31 मई तक पूरा हो जाएगा। सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि संविधान संशोधन की वजह से हर हालत में 16 सितम्बर तक जीएसटी लागू करना ही होगा, नहीं तो उसके बाद केंद्र और राज्य कई तरह के अप्रत्यक्ष कर नहीं वसूल पाएंगे।
अब सबकी नजर 18 और 19 मई को श्रीनगर में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक पर है जहां अलग-अलग वस्तुओं और सेवाओं के लिए कर की दर तय जाएगी। हालांकि ये आशंका जतायी जा रही है कि जीएसटी लागू होने के बाद महंगाई बढ़ेगी, लेकिन राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने इसे एक सिरे से खारिज कर दिया है।
Source: ABP News