सरकार ने रिजर्व बैंक को इस संशोधन के जरिए दबाव वाली संपत्तियों के मामले में दिवाला और शोधन प्रक्रियाएं शुरू करने का अधिकार दिया है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘संपत्तियों की बिक्री, गैर लाभ वाली शाखाओं को बंद करना, अतिरिक्त खर्चों में कटौती, कारोबार के पुनरोद्धार की पहल इन संशोधनों का हिस्सा हैं। संशोधनों से बैंकों के वाणिज्यिक निर्णय लेने की रफ्तार बढ़ेगी, यथार्थवादी कारोबारी फैसले लेने वाले बैंकरों का संरक्षण होगा।’
गौरतलब है कि बैंकों पर बढ़ते बैड लोन (NPA) के बोझ को काबू में करने के लिए राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने रिजर्व बैंक को ज्यादा शक्तियां देने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। अध्यादेश की मदद से मोदी सरकार को 6 लाख करोड़ रुपये के डूबे कर्ज से निपटने में मदद मिलेगी। यह अध्यादेश बैंकों की गैर-निष्पादित संपत्तियों (NPA) से जुड़ी समस्याओं के निपटारे के लिए बैंकिंग नियमन अधिनियम में संशोधन करेगा।
Source: Economic Times