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Startup अब 5 साल तक कर सकेंगे सेल्फ सर्टिफिकेशन, इंस्पेक्टर राज से राहत

मोदी सरकार ने स्टार्टअप इंडिया को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ी पहल की है।

इसके तहत अब स्टार्टअप 5 साल तक सेल्फ सर्टिफिकेशन कर सकेंगे। यानी उन्हें कई सारे लेबर कानून के पालन के लिए इंसपेक्टर की मंजूरी लेनी की जरूरत नहीं पड़ेगी। अभी तक स्टार्टअप को 3 साल तक के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन की छूट मिली हुई थी।

लेबर मिनिस्ट्री ने राज्यों को लिखा लेटर

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लेबर मिनिस्ट्री ने सभी राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को लेटर लिखा है। जिसमें कहा गया है कि स्टार्टअप के लिए सेल्फ कॉम्पलायंस सर्टिफिकेशन अवधि को 3 साल से 5 साल कर दिया गया है। जिसे राज्य अपने यहां लागू कराएं। नए प्रावधान के बाद स्टार्टअप को 6 लेबर कानून के लिए इंसपेक्टर के मंजूरी की जरूरत नहीं लेनी होगी। केवल उन्हें सेल्फ सर्टिफिकेशन के जरिए ये जानकारी देनी होगी, कि वह उन सभी नियमों का पालन कर रहे हैं।

इन 6 कानून के लिए मिली छूट

स्टार्टअप को लेबर कानून के तहत 6 कानून के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन की छूट दी गई है-

द बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स 1996

द इंटर स्टेट माइग्रेट वर्कमेन 1979

द पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी एक्ट 1972

द कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट 1970

द ईपीएफ एंड मिसलेनियस एक्ट 1952

द इम्प्लाई स्टेट इन्श्योरेंस एक्ट 1948

कैसे मिलेगी छूट

नए नियम के तहत पहले साल स्टार्टअप का जब इनकॉरपोरेशन होगा उस समय 6 लेबर कानून के लिए केवल उसे ऑनलाइन सेल्फ सर्टिफिकेशन देना होगा। जबकि दूसरे साल से लेकर पांचवें साल तक श्रम सुविधा पोर्टल पर मौजूद सेल्फ सर्टिफिकेशन रिटर्न को ऑनलाइन सबमिट करना होगा। हालांकि नए नियम में यह भी कहा अगर डिपार्टमेंट को किसी तरह की अनियमितता की ठोस जानकारी मिलती है तो वह ऐसे स्टार्टअप की जांच कर सकता है।

कौन कहलाता है स्टार्ट अप

कानून के तहत ऐसी कंपनी जिसका इनकॉरपोरेशन 5 साल से ज्यादा पुराना नहीं है। साथ ही जिसका टर्नओवर एक फाइनेंशियल ईयर में 25 करोड़ रुपए से ज्यादा नही है। वह कंपनियां स्टार्टअप के तहत आती हैं।

क्यों बढ़ाई छूट

इसके पहले जनवरी 2016 में स्टार्टअप के लिए 3 साल तक की सेल्फ सर्टिफिकेशन की सुविधा लांच की गई थी। जिसे लेकर डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल पॉलिसी एंड प्रमोशन सहित दूसरे डिपार्टमेंट के पास सेल्फ सर्टिफिकेशन की सीमा बढ़ाने की मांग की गई थी। जिसके आधार पर यह फैसला लिया गया है।

Source: Money Bhaskar