TANSTIA के अध्यक्ष सी बाबू ने कहा कि, “छोटे उद्योगों के विकास के लिए ब्याज दर को एक अंक में लाने की ज़रूरत है। वारदाह से राज्य को लगभग 60 हज़ार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ब्याज दरों में कटौती लघु उद्योगों को बढ़ावा देगी।”
एसोसिएशन ने स्मॉल फैक्ट्री एैक्ट को जल्द से जल्द लागू करने की मांग की है। एैक्ट के तहत 40 कर्मचारियों वाली छोटी इकाइयों को भविष्य निधि और कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) अधिनियम जैसे 14 श्रम कानूनों से छूट मिलेगी।
सरकार ने अपनी मेक इन इंडिया पहल से एमएसएमई सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए अप्रैल 2015 से सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के लिए कच्चे माल का 20 प्रतिशत एमएसएमई से खरीदना अनिवार्य कर दिया है। लेकिन कंपनियां इस खरीद को पूरा करने में विफल रही हैं। TANSTIA ने इसके सफल कार्यान्वयन के लिए एक मॉनेटरी कमेटी की मांग की है।
TANSTIA ने डंपिंग ड्यूटी में बढ़ौत्तरी के साथ-साथ आयात शुल्क में छूट देने के भी लिए कहा है। TANSTIA का मानना है कि इससे सस्ते चीनी आयात से प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी और भारत की छोटी इकाईयों की उत्पादन लागत कम होगी।
सी बाबू ने यह भी कहा कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क (सेंट्रल एक्साईज़ ड्यूटी) की लिमिट को लघु उद्योगों के लुए 1.5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये करना चाहिए। इसके अलावा, टूरिज़्म और लॉजिस्टिक्स की कनेक्टिविटी के लिए प्रोत्साहन को भी बढ़ाना चाहिए। कनेक्टिविटी की कमी के चलते मल्टीनेश्नल कंपनियों का आकर्षण बड़े शहरों पर ही केंद्रित है जिसको छोटे शहरों की तरफ बढ़ाने के लिए ढांचागत विकास की ज़रुरत है। इससे न केवल माल की आवाजाही में हो रही परेशानियाँ कम होंगी, बल्कि अछूते क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।