पत्रिका न्यूज में छपी एक ख़बर के मुताबिक सबसे कम जीएसटी दर 5 % पर सहमति बन सकती है लेकिन इस बात का निर्णय श्रीनगर में होने वाली बैठक में होगा। लेकिन इससे पहले 6 मई को इस संदर्भ में जीएसटी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी की उपस्थिति में जीएसटी के मद्दे पर चर्चा होगी।
अभी तक टैक्सटाईल सेक्टर कर को लेकर चिंता मुक्त था। क्योंकि राज्य में कपड़े पर सिर्फ चार फीसदी वैट लगता था। जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स 12 फीसदी हो जाएगा जिसे लेकर कारोबारी चिंतित है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े कारोबारी इस कर को दे लेंगे लेकिन इसकी मार छोटे उद्यमियों पर पड़ेगी। दक्षिण गुजरात चैंबर आफ कॅामर्स और इंडस्ट्री की देख-रेख में हुयी एक बैठक में कपड़ा कारोबारियों ने सेक्टर को जीएसटी से बाहर रखने के लिए मेमोरेंडम दिये हैं। व्यापारी चार फीसदी टैक्स को पांच फीसदी तक करने के लिए तैयार हैं। लेकिन वित्त मंत्रालय अभी इस दिशा में खामोश है।
कारोबारियों को अब श्रीनगर में 16–17 मई को होने वाली बैठक का इंतजार है। लेकिन उससे पहले 6 मई को सूरत में होने वाले सेमीनार में जीएसटी के प्रिंसिपल सेक्रेटरी हसमुख अढ़िया मौजूद रहेंगे। जिसमें कपड़ा उद्यमी उनको मेमोरेंडम भी सौंपेगे।
कपड़ा उद्यमियों का कहना है कि फाइबर न्यूट्रिलिटी पॅालिसी पर सहमति बने। जिसमें कॅाटन और पॅालिस्टर पर कर स्लैब समान है। वही जीएसटी को यार्न और कपड़े पर लागू किया जाए। जिससे छोटे कारोबारी इसके दायरे से बाहर हो जाएंगे।
जीएसटी के तहत व्यापारियों को हर उस राज्य में रजिस्ट्रेशन कराना होगा जहां वह व्यापार करना चाहते हैं।
टेक्सटाइल उद्योग अर्थव्यवस्था का अहम अंग है। इसके एक जुलाई से लागू हो रहे जीएसटी बिल को लेकर उद्यमी और कर विशेषज्ञ इसके नीयमों को बारीक से समझने के लिए सेमीनार का निरंतर आयोजन कर रहे हैं।