जीएसटी परिषद ने आज नियमों के 5 सेटों को मंजूरी दे दी और 4 अन्य पर भी सहमति बन गई। परिषद की 18 और 19 मई को होने वाली बैठक में नियमों के 4 सेटों और वस्तुवार कर की दरों को भी मंजूरी दी जाएगी। इस तरह उद्योग जगत को जीएसटी की तैयारी के लिए करीब डेढ़ महीने का समय मिल जाएगा।
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि जीएसटी परिषद ने शुक्रवार को नियमों के जिन 5 सेटों को मंजूरी दी उनका संबंध पंजीकरण, रिटर्न, भुगतान, रिफंड और बिल से है। साथ ही नियमों के जिन 4 सेटों पर सहमति बनी है उनका ताल्लुक इनपुट टैक्स क्रेडिट, मूल्यांकन, बदलाव के प्रावधानों और ढांचे से है।
नियमों के 5 सेटों को परिषद ने पहले भी मंजूरी दी थी लेकिन लोक सभा द्वारा पारित जीएसटी विधेयकों के अनुरूप ढालने के लिए उनमें यदाकदा बदलाव किए गए हैं।
इन विधेयकों पर अब 5 अप्रैल बुधवार को राज्य सभा में चर्चा होगी और उसी दिन इन्हें पारित कर दिया जाएगा। जिन 4 नियमों पर जीएटी परिषद में सहमति बनी है उन्हें अब सार्वजनिक किया जाएगा ताकि उद्योग जगत उनमें बदलाव के लिए सुझाव दे सके।
जेटली ने कहा कि मई में श्रीनगर में होने वाली अगली बैठक में इन बदलावों पर विचार किया जाएगा। इस बैठक में वस्तुओं को 5 अलग-अलग श्रेणियों शून्य फीसदी, 5 फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी में रखने पर विचार होगा।
अहितकारी और विलासितापूर्ण उत्पादों जैसे तंबाकू, सिगरेट, कोयला, लक्जरी कार और शीतल पेय पर कर की अधिकतम दर 28 फीसदी के ऊपर उपकर लगेगा।
अब मुद्दा यह है कि अगर इस बैठक में वस्तुवार कर की दरों और नियमों के 4 सेटों पर फैसला होता है तो उद्योग जगत के पास इन बदलावों के अनुरूप तैयारी करने के लिए केवल डेढ़ महीने का समय होगा। अगर इसमें देरी होती है तो कारोबारियों को और भी कम समय मिलेगा। सरकार एक जुलाई से जीएसटी लागू करना चाहती है।
अलबत्ता वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि वस्तुवार कर की दर निर्धारित करना कोई कठिन काम नहीं है। वस्तुओं पर कर की दर करीब-करीब वही होगी जो अभी है। लेकिन इनपुट टैक्स क्रेडिट और बदलाव से जुड़े नियम उद्योग जगत के लिए ज्यादा अहम होंगे। साथ ही मूल्यांकन के नियम भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि उद्योग जगत यह जानने को उत्सुक है कि अगर उनकी एक शाखा से सामान दूसरी शाखा में जाता है तो किस प्रकार का कर लगेगा।
केरल के वित्त मंत्री थॉमस आइजक ने कहा कि हमें जीएसटी लागू करने में देरी नहीं करनी चाहिए। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने भी कहा कि अगर संभव हुआ तो जीएसटी को 1 जुलाई से लागू किया जाना चाहिए।
संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद इन्हें अधिसूचित किया जाएगा। राज्य विधानसभाओं को विशेष सत्र बुलाकर राज्य जीएसटी को जल्दी से जल्दी पारित कराना चाहिए।
उन्होंने उम्मीद जताई कि राज्य सभी में इन विधेयकों को विपक्ष सहित सभी दलों का समर्थन मिलेगा। विपक्ष खासकर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और वामपंथी दलों ने संकेत दिए हैं कि वे केंद्रीय जीएसटी और एकीकृत जीएसटी विधेयकों पर कोई संशोधन नहीं लाएंगे।