GST: ग्रेनाइट उद्योग की SMEs को जीएसटी से झटका


केंद्र सरकार द्वारा वस्तु एवं सेवा कर ग्रेनाइट उद्योग में कार्यरत छोटे और मध्यम उद्यम इकाईयों (एमएसएमई) के लिए लिए एक बड़ा झटका है। हंस इंडिया की एक ख़बर के अनुसार इस सेक्टर में कार्यरत आंध्रप्रदेश की एमएसएमई के मालिकों और मजदूरों को कहना है कि सरकार को सभी प्रकार के उत्पादकों के लिए एकल […]


Granite Industryकेंद्र सरकार द्वारा वस्तु एवं सेवा कर ग्रेनाइट उद्योग में कार्यरत छोटे और मध्यम उद्यम इकाईयों (एमएसएमई) के लिए लिए एक बड़ा झटका है।

हंस इंडिया की एक ख़बर के अनुसार इस सेक्टर में कार्यरत आंध्रप्रदेश की एमएसएमई के मालिकों और मजदूरों को कहना है कि सरकार को सभी प्रकार के उत्पादकों के लिए एकल कर की घोषणा करने से पहले करों की मौजूदा संरचना पर अच्छे से विचार करना चाहिए था, जिसमें वो असफल रही है।

राज्य के प्रकाशम, चित्तूर, विशाखापट्टनम,गुंटूर जिलों में स्थापित ग्रेनाइट इकाईयां काले ग्रेनाइट का प्रचुर मात्रा में संसाधन करती हैं। जो कि असम, राजस्थान, कोलकाता, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे ग्रेनाइट उद्योग में कार्यरत इकाईयों से कहीं ज्यादा है और इसमें काम करने वाले मजदूरों की संख्या भी इन राज्यों की तुलना में अधिक है।

राज्य में लगभग 400 ग्रेनाइट कंपनियां 1200 खनन खदानों के साथ हैं। जिले के ग्रेनाइट उद्योग पर 50,000 से अधिक श्रमिक निर्भर होते हैं,  पॅालिशिंग उद्योगों की संख्या 4,000 तक पहुंच गई है।  सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग (MSMEs) जिनका कारोबार पांच करोड़ रुपये से कम है, यूनिट के आकार, कच्चे माल और उत्पाद विविधता के आधार पर 2 से 14.5 फीसदी कर सरकार को देते हैं।

तो वहीँ इस सेक्टर से जुडी बड़ी कंपनियां (Large Sacle Industries) इस टैक्स के साथ-साथ केंद्रीय उत्पाद शुल्क का 18 से 20 प्रतिशत का अतिरिक्त भुगतान भी करती हैं। कुल मिलाकर सरकार को हर साल ग्रेनाइट कंपनियों से रॉयल्टी के नाम पर 120-150 करोड़ रुपये मिलते हैं।

लेकिन अब सरकार ने देश भर में वर्टिफाइड टाइल्स, सिरेमिक टाइल, संगमरमर और ग्रेनाइट उत्पादों के निर्माण, बिक्री और उपभोग पर व्यापक अप्रत्यक्ष कर के रूप में इस सेक्टर के लिए जीएसटी की दर को 28 प्रतिशत घोषित किया है।

उद्यमियों का कहना है कि बढ़े हुए टैक्स का भुगतान करने के लिए, हमें उत्पाद की कीमत 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ाने की जरूरत है जो आज के मौजूदा बाजार की स्थितियों में संभव नहीं है।सरकार का निर्णय केवल बड़े पैमाने पर उद्योगों के लिए फायदेमंद है। जिनको 14.5 फीसदी की इंनपुट टैक्स के अलावा 20 फीसदी एक्साइज टैक्स का भुगतान करना चाहिए। उन्हें छह से सात प्रतिशत राहत मिलती है और वे उत्पाद की कीमत कम करने के लिए स्वतंत्र हैं।

सरकार का यह निर्णय कि सेक्टर में सभी प्रकार के उद्योगों के लिए सामान जीएसटी लागू करना एक बड़ी गलती है, और यह पहले से ही संघर्षरत उद्योग के लिए बड़ा झटका साबित होगा।

Shriddha Chaturvedi

ख़बरें ही मेरी दुनिया हैं, हाँ मैं पत्रकार हूँ

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