सरकार ने बड़ी संख्या में सामानों की जीएसटी दरें तय कर दी हैं, लेकिन इस क्षेत्र की ज्यादातर कंपनियां नए लेखांकन और कराधान मानकों को लेकर चिंतित हैं, जिसका उद्योग ने विरोध किया था और उस पर चर्चा हुई है।
इसमें छोटी औद्योगिक इकाइयों पर कर छूट की सीमा घटाकर 1.5 करोड़ से 20 लाख रुपये करने और सितंबर से चरणबद्ध तरीके से केंद्रीय मूल्यवर्धित कर (वैट) क्रेडिट खत्म किया जाना शामिल है।
एमएसएमई नेटवर्क लघु उद्योग भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश मित्तल ने कहा, ‘हम सरकार से इन तमाम नियमों के बारे में बात कर रहे हैं, जिन्हें जल्द अंतिम रूप दिए जाने की जरूरत है। खासकर अनुपालन मानक बहुत सख्त हैं और तमाम क्षेत्र पहली बार कराधान के दायरे में आ रहे हैं।’
इस समय सरकार उन इकाइयों को सूक्ष्म उद्यम के रूप चिह्नित करती है, जिनका संयंत्र और मशीनरी में निवेश 25 लाख रुपये से कम है। छोटे और मझोले उद्योग में निवेश क्रमश: 5 करोड़ और 10 करोड़ रुपये से कम निवेश वाले उद्यम आते हैं।
एमएसएमई ने स्टॉक ट्रांसफर पर कराधान पेश किए जाने का विरोध किया है। उनका दावा है कि इससे कार्यशील पूंजी को लेकर संकट बढ़ेगा। साथ ही उल्लंघन पर कर अधिकारियों द्वारा उत्पीडऩ बढ़ेगा, जो कंपनियों की चिंता का मुख्य विषय है।
फिक्की के एमएसएमई परिषद के प्रमुख संजय भाटिया ने कहा, ‘बदलाव के दौर में गलतियां होने की संभावना है, क्योंकि तमाम कंपनियां इस व्यवस्था के तहत पहली बार आ रही हैं। सरकार को इसे ध्यान में रखना चाहिए।’
फिक्की ने सरकार को भेजे गए नोट में कहा है, ‘अनुभवों से यह पता चलता है कि अधिकारी अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर सकते हैं और सही करदाताओं का उत्पीडऩ कर सकते हैं। इसकी संभावना बहुत ज्यादा है कि कर अधिकारी अनुचित लाभ लेने के लिए परेशान करने का तरीका अपनाएं।’
Source: Business Standard