सरकार पहले ही कर की दरों को 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत रखने का निर्णय ले चुकी है, अब परिषद की कर निर्धारण समिति सुझाव देगी कि किस सेवा को किस स्तर की जीएसटी दर के साथ रखा जाये।समिति का मुख्य फोकस महंगाई न बढ़ने देने पर है।
वहीं छोटे कारोबारियों के मन में बिल को लेकर कई संदेह हैं। हाल ही में केंद्रीय राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने अमर उजाला को दिए गए अपने एक इंटरव्यू में इस विषय पर बात करते हुए कहा था कि अति छोटे कारोबारी जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। जबकि सालाना 20 लाख तक का कोरोबार करने वाली यूनिट्स को जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता नहीं है।
वहीं 20 लाख से 50 लाख तक का करोबार करने वाली इकाईयों के कारोबारियों को कंपोजिट स्कीम का लाभ मिलेगा। जीएसटी के दायरे में आने वाली सभी यूनिट्स को हर तीन महीने के अंतराल पर रिटर्न फाईल करना होगा। रिटर्न सिर्फ टर्नओवर बताकर फाइल किया जा सकता है। उद्योगपतियों को टर्नओवर का दो फीसदी और व्यापारियों को टर्नओवर का 1 फीसदी टैक्स देना होगा।
जबकि सर्विस टैक्स में रेस्तरां को छोड़कर बाकी के लिए ऐसा प्रावधान नहीं है। रेस्तरां कारोबारी जिनका टर्नओवर 20 से 50 लाख रूपये तक है उन्हें 5 फीसदी टैक्स देना होगा।
राजस्व सचिव ने बताया कि जीएसटी से जुड़ी सारी आईटी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। पोर्टल पर अब तक 80 लाख व्यापारियों के रजिस्ट्रेशन हो चुकें है। जिनको भी देखा जा रहा है। वहीं केंदीय उत्पाद शुल्क और सर्विस टैक्स में पंजीकरण कराने वीली इकाईयों का प्रतिशत 28 है।
इसके अलवा सरकार ने भी जीएसटी को लेकर आम लोगों व कारोबारियों को जागरूक करने के प्रयास तेज कर दिए हैं। केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) ने इसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए अपने सभी 23 जोन को एक-एक करोड़ रुपये दिए हैं। सभी जोन इस धनराशि का इस्तेमाल जीएसटी के प्रचार-प्रसार के लिए करेंगे।
गौरतलब है कि व्यापारियों को वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने के लिए एक महीने की मोहलत और मिल गई है।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को एक जुलाई से लागू किया जाना है।