इकोनॉमिस्ट के अनुसाार, आरबीआई ऐसा बजट में उठाए गए कदमों और मौजूदा इन्फ्लेशन रेट को देखते हुए कर सकता है। अगर ऐसा होता है, तो आपके लिए होम लोन, व्हीकल लोन से लेकर बिजनेस लोन तक सस्ते हो जाएंगे।
आरबीआई की इस साल की छठी मॉनिटरी पॉलिसी रिव्यू मीटिंंग आज से शुरू हो रही है, जिसका प्रमुख दरों पर फैसला कल आएगा। अभी रेपो रेट 6.25 फीसदी और सीआरआर 4.0 फीसदी पर है।
बजट से मिला सपोर्ट
एचडीएफसी बैंक के चीफ इकोनॉमिस्ट अभीक बरुआ ने बताया कि बजट 2017-18 में ऐसे किसी तरह के प्रोविजन नहीं किए गए हैं, जिससे इन्फ्लेशन में इजाफा हो। साथ ही सरकार ने फिजिकल डेफिसिट के लिए जो टारगेट तय किया है। वह भी कंट्रोल में है। सरकार ने साल 2016-17 के लिए 3.5 फीसदी और साल 2017-18 के लिए 3.2 फीसदी टारगेट तय किया है। इसके अलावा इन्फ्लेशन भी टारेगट के अंडर है, इसे देखते हुए आरबीआई 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है।
क्रिसिल के चीफ इकोनॉमिस्ट डी.के.जोशी का भी कहना है कि फिजिकल टारगेट सरकार ने जिस तरह किए हैं, साथ ही बजट से इन्फ्लेशन बढ़ने की आशंका नहींं है। ऐसे में आरबीआई 0.25 फीसदी रेट कट कर सकता है।
इन्फ्लेशन कंट्रोल में
बरुआ के अनुसार इन्फ्लेशन कंट्रोल में होने की वजह से आरबीआई को तत्कालिक रेट कटौती करने में कोई परेशानी नहीं है। इसी तरह डी.के.जोशी का भी मानना है कि इन्फ्लेशन इस समय आरबीआई के लिए चैलेंज नहीं है। जिसका फायदा वह रेट में कटौती के रूप में दे सकता है।
इक्रा के एमडी और ग्रुप सीईओ नरेश टक्कर के अनुसार, कंज्यूमर प्राइस इन्फ्लेशन (सीपीआई) कंट्रोल में है। ऐसी उम्मीद है कि आने वाले दिनों में यह 5 फीसदी के टारगेट से कम रहेगी। इसे देखते हुए आरबीआई 0.25 फीसदी तक कटौती कर सकता है।
लॉन्ग टर्म में आरबीआई के लिए हैं चुनौतियां
बरूआ के अनुसार इस बार पॉलिसी में आरबीआई भले ही रेट कट करें, लेकिन आने वाला समय उसके लिए चुनौतीपूर्ण है। खास तौर से इंटरनेशन मार्केट में क्रूड और दूसरी कमोडिटी की बढ़ती कीमतें और दुनिया के देशों में बढ़ता प्रोटेक्शनिज्म आरबीआई के लिए चैलेंज होगा। इसी तरह अगर डॉलर रुपए के मुकाबले मजबूत होता है, तो भी आरबीआई के लिए एक प्रमुख चैलेंज खड़ा होगा। इसे देखते हुए मेरा मानना है कि साल 2017-18 में आरबीआई के लिए रेट में कटौती के स्कोप काफी कम होंगे। वह ज्यादा से ज्यादा एक कटौती कर सकता है।
एचएसबीसी इंडिया के चीफ इकोनॉमिस्ट प्रजुंल भंडारी के अनुसार आरबीआई के लिए कम इन्फ्लेशन में रेट कटौती के मौके हैं। ऐसे में हमारा मानना है कि वह 0.25 फीसदी की कटौती कर सकता है। लेकिन आरबीआई के लिए आने वाले दिनों में इंटरनेशन लेवल में काफी चैलेंज हैं, ऐसे में उसके लिए ईज पॉलिसी को बनाए रखना मुश्किल होगा।