सरकार ने कहा है कि वह एफडीआई को बढ़ावा देने के लिए बढ़-चढ़ कर प्रयास कर रही है। इसी क्रम में फॅारेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) के उन्मूलन के बाद अब मंत्रालयों को आवेदन के 60 दिनों के भीतर एफडीआई प्रस्तावों पर फैसला करना होगा और किसी भी अस्वीकृति के लिए डीआईपीपी की सहमति की आवश्यकता होगी।
कुछ समय पहले ही सरकार ने 25 वर्ष पुरानी फॅारेन इन्वेस्टमेंट बॅाडी (FIPB) को समाप्त कर दिया है। क्योंकि भारत सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से अधिक एफडीआई को आकर्षित करना चाहता है।
वित्त मंत्रालय का कहना है कि विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) के उन्मूलन के बाद संबंधित प्रशासकीय मंत्रालय विशिष्ट क्षेत्र में विदेशी निवेश को मंजूरी देने का काम करेंगे।
उद्योग मंत्रालय और प्रशासनिक मंत्रालय के परामर्श से एफडीआई के विस्तृत दिशानिर्देशों के प्रारुप को तैयार किया जाएगा।
एफडीआई प्रस्ताव बैंकों में भी वित्तीय सेवा विभाग द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। वर्तमान में 91 से 95 प्रतिशत एफडीआई स्वत: मार्ग के माध्यम से आ रहा है। रक्षा व खुदरा व्यापार सहित केवल 11 क्षेत्रों में एफडीआई के लिए सरकारी मंजूरी की आवश्यकता होती है।
साल 2016-17 में भारत के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुयी है। यह बढ़कर 43.48 अरब डॉलर हो गया है।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 5,000 करोड़ रुपये से ऊपर के विदेशी निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
1990 के प्रारंभ में आर्थिक उदारीकरण के बाद प्रधान मंत्री कार्यालय के तहत एफआईपीबी का गठन किया गया था।