भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक अच्छा और सकारात्मक कदम बताया है। बैंक ने कहा है कि जीएसटी का मध्यम अवधि के दौरान विकास, मुद्रास्फीति, सरकारी वित्त और प्रतिस्पर्धा के मामले में अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर होगा।
रिजर्व बैंक ने राज्यों पर पेश की गयी अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा है कि राज्यों के राजकोषीय घाटे में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। जो कि साल 2016-17 में बढ़कर 3.4 प्रतिशत हो गया। जिसका प्रतिकूल प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। लेकिन रिपोर्ट में बैंक ने बताया है कि जीएसटी से राजकोषीय स्थिति लम्बे समय तक स्थिर रहेगी।
आरबीआई के अनुसार सर्विस सेक्टर का भारत की अर्थव्यस्था में बहुत ही अहम् रोल है इसलिए जीएसटी के लागू होने के बाद दीघ्रकालिक अर्थव्यस्था में इस बिल का योगदान अहम् हो सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बजट में इस घाटे का अनुमान 3 फीसदी बताया गया था। राज्यों के राजकोष में हुये इस घाटे की वजह उदय बांड को बताया गया है। उदय बांड के जरिए वित्तीय संकट में फंसी बिजली कंपनियों को राहत देने या फिर स्थापित होने का काम किया गया है। बैंक ने रिपोर्ट मे कहा है कि उदय के प्रभाव को हटा दिया जाए तो जीएसएफडी 2.7 प्रतिशत होता है।
बैंक का अनुसार जीएसटी से एमएसएमई सेक्टर को बड़ा फ़ायदा होगा क्योंकि इससे उनको बिज़नेस करने में ज्यादा आसानी होगी, लोजिस्टिक्स लागत कम होगी और उनकी पहुँच अपने राज्यों से बहार भी आसानी से हो जाएगी।
केंद्रीय बैंक द्वारा पेश की रिपोर्ट के अनुसार एकीकृत जीएसएफडी वित्त वर्ष 2017-18 में घटकर 2.6 प्रतिशत हो चुकी है। बैंक ने यह आंकडे 25 बड़े राज्यों के आंकड़ों के आधार पर निकाले हैं। इसमें पंजाब और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को शामिल नहीं किया गया है।
केंद्रीय बैंक ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर पेश किया जाना राज्यों के साथ-साथ देश के अर्थव्यवस्था के लिए भी उपयुक्त है।