वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर टेक्सटाइल सेक्टर अभी भी असमंजस की स्थिति में है। कॅाटन टेक्सटाइल को 5 फीसदी जीएसटी दर के तहत रखने से उद्यमी खुश हैं।
लेकिन इसके विपरीत मानव निर्मित फाइबर प्रोजेक्ट बनाने वाली टेक्सटाइल इकाईयां(यार्न,छपाई व कढाई करने वाली इकाइयां) 18 प्रतिशत जीएसटी स्लैब में जाने से परेशान हैं।
अंग्रेजी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक ख़बर के अनुसार इकाइयों ने मांग की है कि मैनमेड फाइबर पर सबसे कम जीएसटी कर स्लैब होना चाहिए।
उद्योग अधिकारियों का कहना है कि इसके 18 फ़ीसदी टैक्स स्लैब में होने से इनपुट लागत में वृद्धि होगी और संपूर्ण टेक्सटाइल की मूल्य श्रृंखला पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (सीआईटीआई) के चेयरमैन जे थुलासीधरन ने कहा है कि जीएसटी की इस दर को रखने से मानव निर्मित सैकड़ों छोटे और मध्यम कृत्रिम कपड़ा निर्माताओं पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
साउथ इंडिया मिल्स एसोसिएशन के चेयरमैन एम सेंथिलकुमार ने कहा है कि मानवनिर्मित फाइबर और सिंथेटिक यार्न पर लगाए गए 18% जीएसटी से शुल्क संरचना खराब होगी। क्योंकि कपड़े को 5% जीएसटी के तहत रखा गया है।
तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (टीईए) का कहना है कि सरकार को मानव निर्नित उत्पादों पर लगने वाली दर पर पुनर्विचार करना चाहिए। और इसे 12 प्रतिशत दर में रखना चाहिए।
उद्योग अधिकारियों ने सरकार से टेक्सटाइल जॉब्स को सर्विस टैक्स से मुक्त करने की भी अपील की है। क्योंकि इससे एमएसएमई, पॉवरलूम्स, बुनाई प्रसंस्करण इकाइयों को लाभ होगा।