बीते करीब पांच सालों से स्टार्टअप की एक नई पौध भारतीय अर्थव्यवस्था में शामिल हुई है। शुरूआत में कईयों ने अच्छी छलागें लगाई लेकिन जैसे ही उनके क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कम्पनियां आईं वे टांय-टांय फुस्स हो गई। प्लॉन बी नहीं होने का खामियाजाना इन कम्पनियों को उठाना पड़ा। आज ज्यादातर स्टार्टअप या तो ब…