बीते करीब पांच सालों से स्टार्टअप की एक नई पौध भारतीय अर्थव्यवस्था में शामिल हुई है। शुरूआत में कईयों ने अच्छी छलागें लगाई लेकिन जैसे ही उनके क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कम्पनियां आईं वे टांय-टांय फुस्स हो गई। प्लॉन बी नहीं होने का खामियाजाना इन कम्पनियों को उठाना पड़ा। आज ज्यादातर स्टार्टअप या तो बंद हो चुके हैं या बिकने को तैयार हैं
कमजोर रणनीति और फंडिग का सही इस्तेमाल न होने की वजह से आज ये स्टार्टअप्स या तो भारी घाटे का सामना कर रहें हैं या खत्म होने के कगार पर पहुंच चुके हैं। आइए जानते है ऐसे ही देश के टॉप 5 स्टार्टअप्स की कहानी।
स्नैपडील
शुरुआत– 2011 | फाउंडर – कुणाल बहल, रोहित बंसल | इन्वेस्टर्स – सॉ टबैंक ग्रुप, नेक्सस वेंचर पार्टनर्स, कलारी कैपिटल, अलीबाब ग्रुप, फॉक्सकॉन | फंड जुटाए – 2 अरब डॉलर | मौजूदा हालत – 100 करोड़ में बिकने को तैयार
हाउसिंग.कॉम
शुरुआत– 2012 | फाउंडर – राहुल यादव, रविश नरेश, सनत घोष और अभिषेक आनंद | इन्वेस्टर्स – सॉ टबैंक, क्वालकॉम वेंचर्स और हीलियन ग्रुप | फंड जुटाए – 16 करोड़ डॉलर | मौजूदा हालात – 7 करोड़ डॉलर में दूसरी कंपनी के साथ मर्जर
आस्कमी ग्रुप
शुरुआत– 2010 | फाउंडर: संजीव गुप्ता | निवेशक: एस्ट्रो एंटरटेनमेंट नेटवर्क लिमिटेड | फंड जुटाए: 30 करोड़ डॉलर | मौजूदा हालात: अगस्त 2016 में बंद
पेपरटैप
शुरुआत: 2014 | फाउंडर: नवनीत सिंह और मिलिंद शर्मा | निवेशक: सेक्वाइया कैपिटल, एसएआईएफ पार्टनर्स, स्नैपडील, आरयू-नेट, जेफको और बीनेक्ट | फंड जुटाए: 51 लाख डॉलर | मौजूदा हालात: बंद अप्रैल 2016
फ्रीरिचार्ज
शुरुआत – 2010 | फाउंडर – कुणाल शाह और संदीप टंडन | इन्वेस्टर्स – सिकोया कैपिटल, सोफिना, आरयू-नेट, वेलिएंट कैपिटल पाटर्नस | फंड जुटाए- 12 करोड़ डॉलर | मौजूदा हालात- अप्रैल 2015 में स्नैपडील से 40 करोड़ डॉलर में बिकी
Source: Patrika.com