केंद्र सरकार ने दो साल पहले नई कंपनियों और नए कारोबारियों को बूस्ट देने के लिए स्टार्टअप इंडिया प्रोग्राम जोर-शोर के साथ किया था।
स्टार्टअप इंडिया का मकसद देश में एक ऐसे इकोसिस्टम को बनाना था जहां नए कारोबारी आसानी से काम कर सकें। इसका ऐलान करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टार्टअप्स को दिए जाने वाले टैक्स बेनेफिट को काफी अहम बताया था।
लेकिन ताजा आंकड़े बताते हैं कि उनके दावे फेल हो रहे हैं। कंपनियों को टैक्स छूट मिलने और फंड मिलने दोनों में मुश्किलों को सामना करना पड़ा है।
स्टार्टअप इंडिया की हाल ही में जारी रिपोर्ट के मुताबिक, केवल 10 कंपनियां ऐसी हैं जिनको टैक्स छूट की मंजूरी दी गई है।
1662 एप्लीकेशन में से 10 को मिला टैक्स बेनेफिट
स्टार्टअप इंडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक 1662 एप्लीकेशंस मिली हैं जिसमें से 636 एप्लीकेशन ऐसी हैं जिनको डीआईपीपी की ओर से स्टार्टअप्स माना गया है। बाकी सभी आवेदकों को स्टार्टअप इंडिया हब द्वारा गाइडेंस उपलब्ध कराया जाएगा और उनको संबंधित डॉक्युमेंट जमा कराने के लिए सपोर्ट किया जाएगा
रिपोर्ट में कहा गया कि टोटल एप्लीकेशंस में से 146 एप्लीकेशंस को टैक्स बेनेफिट के लिए रखा गया। वहीं, इनमें से भी केवल 10 स्टार्टअप्स ऐसे हैं जिनको टैक्स बेनेफिट हासिल करने की मंजूरी दी गई है।
नियमों को लेकर स्टार्टअप्स हैं कंफ्यूज
लीगल एडवाइजर और बरजियोन बिजनेसपोर्ट एलएलपी की फाउंडर रोमा प्रिया ने बताया कि स्टार्टअप का एक ही साल हुआ है। ऐसे में कंपनियों के सामने कई सवाल रहते हैं जैसे ऑपरेशन कैसे चलाएंगे, रेवेन्यू कमाने और प्रॉफिट कहां से आएगा। ऐसे में कंपनियां टैक्स बचाने के बारे में सोच ही नहीं पाती हैं।
इसके अलावा, कई कंपनियों को यह नहीं पता कि उन्हें अप्लाई कैसे करना है और वह केवल अगले पांच साल में ही फायदा उठा सकती हैं। मौजूदा समय में प्रोसेस थोड़ा लंबा भी है। कई कंपनियां इस ओर ध्यान भी नहीं दे रही हैं।
टैक्स बेनेफिट का फायदा
सरकार ने बजट 2017-18 में कहा कि स्टार्टअप्स अब पहले 7 साल के कारोबारी ऑपरेशन में से तीन साल तक टैक्स छूट का फायदा उठा सकते हैं। इससे पहले यह समय सीमा 5 साल में से 3 साल की थी। ऐसे कारोबारियों को अपने वेंचर को प्रॉफिट में आने के लिए ज्यादा वक्त दिया गया है।
इसका दूसरा फायदा कारोबारियों की कॉस्ट में बचत का है। जो पैसा वह टैक्स देने में बचाएंगे वह उस पैसा का इस्तेमाल अपनी कंपनी को बढ़ाने में लगा सकते हैं।
इनको कहा जाता है स्टार्टअप्स
सरकार ने स्टार्टअप पॉलिसी के तहत कहा था कि केवल उन कंपनियों को स्टार्टअप माना जाएगा जिनको बिजनेस करते हुए 5 साल से ज्यादा नहीं हुए हों, कंपनी 1 अप्रैल 2016 के बाद बनी हो, उसका सालाना टर्नओवर 25 करोड़ रुपए से ज्यादा न हो।
वह इनोवेनशन, डेवलपमेंट, नए प्रोडक्ट को कमर्शियल करने आदि करने में शामिल हो। ऐसी कंपनियों को टैक्स बेनेफिट्स मिल सकते हैं।
Source: Money Bhaskar