उत्तर प्रदेश में नई योगी सरकार के अवैध तरीके से चल रहे बूचड़खाने को बंद करने के निर्देश के बाद लेदर के उत्पादक व निर्यातक कच्चे माल को लेकर चिंतित हो गए हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक़, देश के 75 बूचड़ख़ानों में से 38 उत्तर प्रदेश में हैं।
चमड़ा करोबारियों का कहना है कि बूचड़खानों के बंद होने से कच्चे माल की कमी हो गई जिसके चलते लेदर की कीमतों में 20 प्रतिशत की बढोत्तरी हो गई गयी है और उसका प्रभाव उनके मार्जिन पर पड़ रहा है।
कई कारोबारियों का कहना है वे समय पर अपने ग्राहकों को डिलीवरी नहीं दे पा रहे हैं। जिसके चलते उन्हें डर है कि वह कहीं अपने विदेशी ग्राहकों को खो ना दें।
बूचड़खाने बंद होने से सबसे ज्यादा असर चमड़ा उद्योग से जुड़े हुए छोटे कारोबारियों पर हो रहा है।
उत्तर प्रदेश का देश के कुल लेदर निर्यात में योगदान लगभग 20 फीसदी है। कानपुर, आगरा और नोएडा राज्य में लेदर के प्रमुख उत्पादक शहर हैं।
भारत का चमड़ा उद्योग बडे पैमाने पर रोजगार पैदा करता है। लगभग 20 लाख लोग इस करोबार से जुड़े हुये हैं। वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार इस क्षेत्र में टेनिंग व फिनशिंग में 1.25 लाख, जूते बनाने के करोबार में 1.75 लाख, चप्पल और सेंडल बनाने में 4.50 लाख, शू अपर बनाने के काम में 75 हजार, लेदर गुड्स और लेदर फैशन में 1.50 लाख लोग काम करते है।