उत्तर प्रदेश की नई इंडस्ट्रियल पॉलिसी में नोएडा और आसपास के औद्योगिक इलाकों के विकास पर जोर रह सकता है।
नई सरकार जहां एक ओर यहां पर पहले से जारी निवेश परियोजनाओं में तेजी लाना चाहती है, वहीं इलाके की औद्योगिक क्षमता को भी भुनाना चाहती है।
6 अप्रैल को नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस के प्राधिकरण प्रमुखों ने राज्य के प्रमुख सचिव (औद्योगिक विकास) के समक्ष एक प्रेजेंटेशन दिया। इसमें सरकार को तीनों प्राधिकरणों के तहत चल रहे इंडस्ट्रियल प्रॉजेक्ट की प्रगति, वित्तीय स्थिति, नए उद्योग की संभावनाओं और उपलब्ध जमीन की जानकारी दी गई।
बैठक में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि इस दौरान यूपी आईटी ऐंड स्टार्टअप पॉलिसी 2016 और उद्योग नीति 2012 के तहत प्रस्तावित बुनियादी ढांचों की प्रगति और विकास पर भी चर्चा हुई।
मंत्रालय ने साफ कर दिया कि नई पॉलिसी का मकसद किसी बड़े इन्फ्रस्ट्रक्चर या इन्वेस्टमेंट प्रॉजेक्ट के आड़े आना नहीं बल्कि औद्योगिक विकास को तेजी देना है। मंत्रालय ने तीनों प्राधिकरणों की खस्ताहाल माली हालत पर चिंता जताई है।
ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे, दोनों अथॉरिटीज पर 8000 करोड़ रुपये कर्ज का बोझ है, जिसके पीछे सबसे बड़ी वजह यहां रियल एस्टेट सेक्टर में पिछले चार साल से जारी मंदी बताई जाती है।
प्रेजेंटेशन में दिल्ली मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत दादरी-नोएडा-गाजियाबाद इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप की प्रगति पर भी चर्चा हुई।
योगी सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में ही मंत्रियों का एक समूह गठित किया था, जो कई राज्यों की औद्योगिक नीतियों की स्टडी करने के बाद नई औद्योगिक नीति तैयार करेगा। सरकार का सबसे ज्यादा जोर उद्योगों के लिए सिंगल विंडो क्लीयरेंस मुहैया कराने पर है।
पिछले हफ्ते औद्योगिक विकास मंत्री सतीश महाना ने नोएडा दौरे पर यहां के अधिकारियों और उद्योग प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की थी। जल्द ही उद्यमियों का एक प्रतिनिधमंडल लखनऊ जाकर मुख्यमंत्री और उद्योगमंत्री से मिलेगा।
नोएडा आंत्रप्रेन्योर्स एसोसिएशन (NEA) के प्रेजिडेंट विपिन मल्हान ने बताया, “हम लोग नई पॉलिसी के लिए अपने सुझाव सरकार को सौंपेंगे। हाल में जिस तरह प्राधिकरणों की भूमिका इंडस्ट्रियल फैसिलिटेटर की जगह रियल एस्टेट एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में बढ़ी है, उससे हर तरह के उद्योगों की उपेक्षा हुई है। सिंगल विंडो क्लीयरेंस उद्योगों की सबसे बड़ी मांग है, लेकिन हम यह भी चाहते हैं कि उद्योगों की बुनियादी दिक्कतें दूर की जाएं। हम नोएडा को इलेक्ट्रॉनिक नो-कट जोन बनाने की मांग भी रखेंगे।”
गौरतलब है कि यूपी की मौजूदा इंडस्ट्रियल पॉलिसी में भी नोएडा को टियर-1 शहरों की सूची में रखते हुए यहां कई आईटी पार्क और लॉजिस्टिक्स कॉरिडोर बनाने पर जोर था। डीएमआईसी टाउनशिप में केंद्र की भी बड़ी हिस्सेदारी रही है।
Source: Economic Times