उत्तर प्रदेश सरकार ने एमएसएमई सेक्टर को प्रोत्साहन देने के लिए एक रणनीति तैयार की है। जो कि रोजगार के अवसर प्रदान करने और क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक खबर के अनुसार एमसएमई सेक्टर के महत्व को देखते हुए राज्य एमएसएमई डिपार्टमेंट ने वेंचर कैपीटल फंड का निर्माण कर रही है। जिसके तहत एमएसएमई इकाईयों को अपग्रेड करने के साथ-साथ स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता मुहैया करायी जाएगी।
एमएसएमई सेक्टर के विकास के लिए बनायी गयी योजना के पहले चरण में 200 करोड़ रुपये के कोष का निर्माण किया जाएगा। जिसमें 100 करोड़ रुपये का योगदान राज्य सरकार की तरफ से होगा। शेष कोष वित्तीय संस्थानों द्वारा प्राप्त किया जाएगा।
राज्य एमएसएमई प्रमुख सचिव रजनीश दुबे ने कहा है कि लघु उद्योगों को मजबूत करने के लिए विभाग वेंचर कैपीटल फंड की स्थापना करने की तैयारी कर रहा है। जिसके लिए सिडबी और अन्य वित्तीय संस्थानों के साथ बातचीत की जा चुकी है।
उद्यम पूंजी कोष की अवधारणा गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में प्रचलित है। योजना को अंतिम रूप देने के बाद इस अवधारणा को राज्य मंत्रिमंडल के सामने औपचारिक अनुमति के लिए रखा जाएगा। दुबे ने कहा कि इस प्रयास से एमएसएमई क्षेत्र को गति मिलेगी। विभाग एक ‘फंड मैनेजमेंट’ यूनिट तैयार करेगा और औद्योगिक इकाइयों को इसके लिए आवेदन करने के लिए आमंत्रित करेगा। शुरूआती उद्देश्य के लिए आवंटित कुल राशि का 80% इकाइयों को अपग्रेड करने और 20% स्टार्टअप्स के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश से कुल औद्योगिक निर्यात के दो-तिहाई हिस्से के एमएसएमई क्षेत्र को 2015-16 में असफलता का सामना करना पड़ा था, जब पिछले वित्त वर्ष की अपेक्षा कुल निर्यात 85,000 करोड़ रुपये से गिरकर 81,000 करोड़ रुपये हो गया है। क्षेत्र लम्बे समय से बढ़ोत्तरी के लिए प्रयास कर रहा है। दुबे ने कहा कि इस फंड आवंटन से क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा और राज्य की अर्थव्यव्स्था में मजबूती आयेगी।
एसोचैम द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट के अनुसार एमएसएमई क्षेत्र उत्तर प्रदेश में कृषि के बाद रोजगार पैदा करने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। उत्तर प्रदेश में 92.36 लाख लोग एमएसएमई सेक्टर से जुड़े हुए हैं। जिनमें से 90% पंजीकृत नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2007-2012 की अवधि के दौरान, एमएसएमई में निवेश लगातार बढ़ा था। लेकिन 2012-13 में निवेश में गिरावट आई और यह बाद के वर्षो में भी जारी रही है। रिपोर्ट के अनुसार ऐसा होने के कई कारन हैं जिसमें दीघ्र आर्थिक मंदी और की वजह से मैन्युफैक्चरिंग की जगह सर्विस सेक्टर (जिसमें कम इन्वेस्टमेंट होता है) की तरफ ज्यादा ध्यान देना है।
Inputs: Times of India