देश के छोटे व मझोले उद्यम (एसएमई) अपनी बढ़त की खातिर रकम की जरूरत के लिए इक्विटी पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं।
उद्योग के जानकारों ने कहा कि सरकार और एक्सचेंजों की तरफ से की गई पहल एसएमई क्षेत्र को इक्विटी के जरिए रकम जुटाना ज्यादा आसान बना दिया है, जो मोटे तौर पर बैंक उधारी पर आश्रित हैं।
साल 2017 के पहले दो महीने में एनएसई व बीएसई के एसएमई प्लेटफॉर्म पर 10 आईपीओ पेश हुए और इसके जरिए 135 करोड़ रुपये जुटाए गए। इसकी तुलना में मुख्य एक्सचेंज पर सिर्फ एक आईपीओ आए, वहीं प्राथमिक पूंजी जुटाने का कोई मामला नहीं दिखा।
नई सूचीबद्धता की रफ्तार बढऩे की संभावना है क्योंकि 50 से ज्यादा कंपनियों ने एक्सचेंज के सामने रकम जुटाने की अपनी योजना रखी है। करीब तीन दर्जन एसएमई ने बीएसई एसएमई से संपर्क किया है, जबकि करीब 15 एनएसई इमर्ज पर सूचीबद्ध होने पर विचार कर रहे हैं।
बीएसई एसएमई पहले ही 28 कंपनियों के आईपीओ को हरी झंडी दे चुका है, वहीं आठ ने पेशकश दस्तावेज जमा कराए हैं और मंजूरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इन कंपनियों में ट्राइन एंटरटेनमेंट, मोनार्क अपैरल, शेयरवे सिक्योरिटीज, ओक्टावेयर टेक्नोलॉजिज और पेरी इंपेक्स शामिल हैं।
इस बीच, एनएसई इमर्ज ने चार कंपनियों के आईपीओ को मंजूरी दी है, जिनमें आकाश इन्फ्रास्ट्रक्चर, एस केमिकल्स, श्री राम स्विच गियर और आरकेईसी प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। फोकस लाइटिंग ऐंड फिक्सचर्स, बोहरा इंडस्ट्रीज, यूरो इंडिया फ्रेश फूड्स, जालान ट्रांससॉल्यूशंस ने मसौदा दस्तावेज जमा कराए हैं।
दिलचस्प रूप से जिन क्षेत्रों की कंपनियां सूचीबद्ध होने पर विचार कर रहीं हैं उनमें अपैरल, केमिकल्स, उर्वरक, दवा, रियल्टी, बुनियादी ढांचा व पूंजीगत सामान क्षेत्र शामिल हैं। ज्यादातर कंपनियां गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र की हैं। निवेश बैंकरों ने कहा, हालिया आईपीओ में उत्साहजनक भागीदारी नई लिस्टिंग के लिए बेहतर रहे हैं। कुछ एसएमई आईपीओ ने रिकॉर्ड आवेदन देखा है।
Source: Business Standard