कैशलेस सैलरी पेमेंट पर छोटे कारोबारियों ने हाथ खड़े किए, कहा अभी नहीं हैं तैयार


लोकसभा में पेमेंट ऑफ वेजेज (अमेंडमेंट) बिल के पास होते ही उसका विरोध भी शुरू हो गया है। छोटे कारोबारियों के संगठनों का कहना है कि बिल के प्रावधानों को लागू करना उनके लिए संभव नहीं है और यदि राज्यों ने इस लागू करने की जल्दबाजी की तो वे इसका विरोध करेंगे क्या है बिल […]


digital payments marketलोकसभा में पेमेंट ऑफ वेजेज (अमेंडमेंट) बिल के पास होते ही उसका विरोध भी शुरू हो गया है।

छोटे कारोबारियों के संगठनों का कहना है कि बिल के प्रावधानों को लागू करना उनके लिए संभव नहीं है और यदि राज्यों ने इस लागू करने की जल्दबाजी की तो वे इसका विरोध करेंगे

क्या है बिल में प्रावधान

वेजेज पेमेंट एक्ट 1936 के मुताबिक, सभी प्रकार की सैलरी या वेजेज का भुगतान कैश में किया जाएगा, लेकिन यदि इम्पलायर चेक से पेमेंट करना चाहता है तो उसे वर्कर्स की लिखित अनुमति लेनी होगी। अब इसमें संशोधन करते हुए कहा गया है कि सैलरी बैंक खाते में ट्रांसफर या चेक से पेमेंट करने के लिए वर्कर्स से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।

बिल 2017 में यह अमेंडमेंट भी किया गया है कि केंद्र या राज्य सरकार कुछ विशिष्ट औद्योगिक या संस्थान को यह निर्देश दे सकते हैं कि उनके इम्पलायर अपने कर्मचारियों को केवल चेक या बैंक ट्रांसफर से सैलरी का पेमेंट करना होगा

संगठनों ने जताया विरोध

फेडरेशन ऑफ इंडियन माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज (फिस्मे) के महासचिव अनिल भारद्वाज का कहना है, “फिस्मे सभी मोड से पेमेंट करने के निर्देश का स्वागत करता है, लेकिन हमें डर है कि इंडस्ट्री को केवल चेक या बैंक से पेमेंट करने को बाध्य किया जा सकता है। हमारी सरकार से अपील है कि पहले वर्कर्स को इस बात के लिए तैयार करे कि वे चेक से पेमेंट ले लेंगे।”

भारद्वाज ने कहा कि अभी भी कई इंडस्ट्री ऐसी हैं, जहां डेली वेजेज या प्राइस वेजेज वर्कर्स रोजाना कैश पेमेंट लेता है। उससे आप कहें कि वह रोज चेक ले तो वह खुद मना कर देगा। इसी तरह मंथली वेजेज लेने वाले वर्कर्स भी चेक नहीं लेते। ऐसे में, अगर किसी राज्य सरकार ने चेक या बैंक से पेमेंट मेंडेटरी कर दिया तो उसका विरोध किया जाएगा

अकाउंट नहीं खोल रहे हैं बैंक

एसएमई संगठनों का कहना है कि बैंक कर्मचारियों के खाते खोलने में भी दिक्कतें कर रहे हैं। इस वजह से उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ फरीदाबाद (एमएएफ) के पूर्व प्रेसिडेंट नरेश वर्मा ने कहा कि बैंक वर्कर्स के खाते नहीं खोल रहे हैं। बैंक कहते हैं कि कंपनी मालिक को अपने वर्कर्स की गारंटी देनी होगी, माइग्रेंट वर्कर्स की गारंटी कैसे दी जा सकती है।

डीएलएफ इंडस्ट्रीज एसोसिएशन, फरीदाबाद के प्रेसिडेंट जेपी मल्होत्रा ने कहा कि बैंक जीरो बैलेंस में खाते नहीं खोल रहे हैं, ऐसे में वर्कर्स मिनिमम बैलेंस पर खाते खुलवाने के लिए तैयार नहीं हैं। अब जब खाते ही नहीं खुलेंगे तो कैशलेस सैलरी पेमेंट कैसे कर सकते हैं

जल्‍दबाजी ठीक नहीं  

एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम के चेयरमैन रजनीश गोयनका का कहना है, “यह एक अच्‍छा कदम है, लेकिन अभी कई सारी दिक्‍कतें हैं, जैसे कि वर्कर्स को भी इसकी आदत नहीं है। इसलिए इसे धीरे-धीरे लागू करना होगा।”

इंडियन इंडस्‍ट्री एसोसिएशन, नोएडा के प्रेसिडेंट एनके खरबंदा ने कहा, “पहले सिस्‍टम बनाना होगा और हर सेक्‍टर में ईएसआई पीएफ मेंडेटरी किया जाए, तब वर्कर्स को बैंक से पेमेंट देना आसान हो जाएगा।”

Source: Money Bhaskar

No Comments Yet

Leave a Reply

Your email address will not be published.

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>


*