नयी दिलली: भाषा: वस्तु एवं सेवाकर के एक जुलाई से अमल में आने के बाद संभवत: सरकार अप्रत्यक्ष करों से अपनी प्राप्ति के अनुमान पर नये सिरे से काम कर सकती है। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने इस बारे में संकेत दिया है।
वर्ष 2017-18 के बजट में वित्त मंत्री अरण जेटली ने अप्रत्यक्ष कर प्राप्ति के जो अनुमान लगाये हैं वह परंपरागत गणना के अनुरूप ही हैं। वर्ष 2017-18 विभिन्न मानकों के लिहाज से एक अलग तरह का वर्ष हो सकता है। वर्ष के बीच में जीएसटी लागू हो सकता है। जीएसटी में सभी तरह के अप्रत्यक्ष करों जैसे कि उत्पाद एवं सेवाकर और राज्यों में लगने वाले वैट को समाहित किया जायेगा।
जीएसटी के तहत जो भी संग्रह होगा उसे केन्द्र और राज्य के बीच बराबर बराबर बांटा जायेगा। राज्यों के सकल वैट संग्रह के बारे में हालांकि, पहले से कोई अनुमान उपलब्ध नहीं हैं इसलिये 2017-18 के लिये जीएसटी से मिलने वाले राजस्व का अनुमान पहले से लगाना कठिन था।
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने पीटीआई-भाषा से यहां कहा, बजट में हमने इन आंकड़ों को सीधे जीएसटी के तहत नहीं लिया है। जब तक संसद में कानून पारित नहीं होता है तब तक हम जीएसटी के तहत उन्हें नहीं रख सकते हैं। इसलिये हमने गणना की सामान्य प्रक्रिया को अपनाया है और उत्पाद एवं सेवाकर राजस्व की पुरानी प्रक्रिया के अनुरूप ही गणना की है। हमने राजस्व प्राप्ति में 9 प्रतिशत की सामान्य वृद्धि को रखा है। अब आगे देखते हैं क्या होता है। अनुमान लगाते समय हमने अपना नजरिया काफी सीमित रखा है।
जीएसटी के तहत राजस्व प्राप्ति के अनुमानित आंकड़े उसके बाद ही कुछ सामने आ सकते हैं जब जीएसटी परिषद विभिन्न वस्तुओं पर किस दर से कर लगायेगी इस बारे में अंतिम निर्णय ले लेगी।
संसद को जीएसटी लागू करने के लिये दो विधेयकों को पारित करना होगा। उसके बाद हर राज्यों को भी एक जीएसटी विधेयक पारित करना होगा।
Source: navbharattimes