भारतीय अर्थव्यवस्था ‘उत्पादक वृद्धि के दौर’ में प्रवेश कर रही है जिसके चलते उसकी वास्तविक वृद्धि दर दिसंबर 2017 तक बढ़कर 7.9 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है। इसमें कहा गया है कि अनुकूल विदेशी मांग, कंपनियों के बेहतर होते खातों और निजी क्षेत्र में पूंजी व्यय में आते सुधार से देश की वास्तवित जीडीपी वृद्धि में यह सुधार आएगा।
उत्पादक वृद्धि के दौर से तात्पर्य आर्थिक वृद्धि के ऐसे समय से है जब वृहद स्थायित्व को ध्यान में रखते हुए निरंतर वृद्धि का चक्र शुरू होने की अनुकूल परिस्थिति होती है।
मोगर्न स्टेनले के ताजा शोध पत्र के मुताबिक आर्थिक वृद्धि की दर ऊंची रह सकती है। अगली तीन तिमाहियों के दौरान यह करीब एक प्रतिशत बढ़ सकती है।
एजेंसी के मुताबिक इस साल की दूसरी तिमाही से आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ सकती है और पूरी एक प्रतिशत बढ़कर दिसंबर 2017 तक मौजूदा 7 प्रतिशत की दर से 7.9 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
मोगर्न स्टेनले ने अपने ताजा शोध पत्र में कहा है, ‘हमारा मानना है कि वृद्धि चक्र 2017 की दूसरी तिमाही से अपनी गति बदलेगा और तेज होगा।
इसमें तीन बातें सहायक होंगी – वृद्धि के लिए बाह्य मांग परिवेश बेहतर होगा। कंपनियों के खातों में सुधार पहले से ही शुरू हो गया है और निजी क्षेत्र में पूंजी व्यय में बेहतरी 2018 से शुरू हो जाएगी।’
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि जीएसटी के क्रियान्वयन से ऐसा नहीं लगता है कि आर्थिक वृद्धि के रास्ते में कोई शुरुआती अड़चन खड़ी होगी।
इसमें कहा गया है कि शेयर बाजार ने आने वाले वृद्धि के चक्र को पूरी तरह से नहीं आंका है ऐसे में इसमें तेजी की उम्मीद है।
Source: Business Standard