थोक मूल्य और औद्योगिक उत्पादन सूचकांकों में शामिल होंगे नए सामान


नए दौर के सामान जैसे स्मार्ट फोन, लैपटॉप और टैबलेट आदि को औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की नई शृंखलामें शामिल किया जा सकता है, जो शुक्रवार से पेश किया जाना है। इसी तरह से चॉकलेट, नूडल्स, हार्मोनियम, गिटार, क्रिकेट बैट और बॉल को थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में शामिल किया जाता है। दोनों सूचकांकों के […]


MSME sectors in Bengalनए दौर के सामान जैसे स्मार्ट फोन, लैपटॉप और टैबलेट आदि को औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) की नई शृंखलामें शामिल किया जा सकता है, जो शुक्रवार से पेश किया जाना है। इसी तरह से चॉकलेट, नूडल्स, हार्मोनियम, गिटार, क्रिकेट बैट और बॉल को थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) में शामिल किया जाता है।

दोनों सूचकांकों के लिए नया आधार वर्ष 2011-12 होगा, जबकि अभी 2004-05 को आधार वर्ष माना जाता है। इसे व्यापक आर्थिक आंकड़ों जैसे सकल घरेलू उत्पाद और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के मुताबिक बनाया जाएगा। इसके अलावा खेल व खिलौनों को डब्ल्यूपीआई की अलग श्रेणी में रखा जा सकता है, जिसके तहत गुडिय़ा, साइकिल, कैरम बोर्ड, ताश के पत्ते के अलावा अन्य सामान आ सकते हैं।

इस मामले से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि फुटबाल पहले से ही मौजूदा श्रृंखला का हिस्सा है, इसके अलावा अन्य खेल के सामान जैसे टेनिस, बैडमिंटन रैकेट को भी स्पोट्र्स की श्रेणी वाली सूची में शामिल किया जा सकता है।

मोबाइल फोन आईआईपी में 1993-94 से ही शामिल है, लेकिन इसमें सिर्फ पुराने बार फोन वाले मॉडल ही शामिल हैं। लंबे समय से अर्थशास्त्री व थिंक टैंक आईआईपी और डब्ल्यूपीआई की नई श्रृंखला पेश कि ए जाने की वकालत कर रहे हैं, जिससे जीडीपी के आंकड़े भी जुड़े हुए हों और ज्यादा सटीक और वास्तविक आंकड़े सामने आ सकें।

उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा, ‘2003-04 के आईआईपी और डब्ल्यूपीआई सूचकांक में शामिल तमाम उद्योग मौजूद नहीं हैं, क्योंकि अब उनके उत्पादन का तरीका बदल गया है। ऐसे में आईआईपी और डब्ल्यूपीआई में उद्योगों के प्रासंगिक आंकड़ों के साथ प्रासंगिक उद्योगों के आंकड़े शामिल हो सकेंगे।’

अधिकारी ने कहा कि बार बार यह शिकायत आ रही थी कि आईआईपी के तरह आने वाले वस्तुओं की सूची समग्र नहीं है। उस मोर्चे पर रोजमर्रा के इस्तेमाल वाली उपभोक्ता वस्तुओं को ज्यादा संख्या में शामिल किए जाने की जरूरत है।

इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा, ‘आईआईपी में शामिल कुछ सामान जैसे कैथोड रे टेलीविजन अब पूरी तरह से पुराने पड़ चुके हैं।’ उन्होंने कहा कि इससे आज के समय के मुताबिक विनिर्माण व खरीदारी का सही प्रतिनिधित्व नहीं हो पाता, क्योंकि बेहतरीन तकनीक आने के साथ इनकी मांग खत्म हो चुकी है।

उतार चढ़ाव के मसले से निपटने के लिए नए सूचकांक मेंं  पूरे उत्पाद को शामिल किए जाने के बजाय कुछ पूंजीगत वस्तुओं के उत्पादन मूल्य को शामिल किया जा सकता है। पूर्व योजना आयोग के सदस्य और जाने माने अर्थशास्त्री सौमित्र चौधरी की अध्यक्षता में बनी उच्चाधिकार समिति के सुझावों से यह विचार सामने आया है।

समिति ने कहा था कि उन पूंजीगत वस्तुओं के मूल्य को सूचकांक में शामिल किया जा सकता है जिन्हें तैयार करने की अवधि बहुत ज्यादा है या उनका कुल योग जानना कठिन है।

आईआईपी विनिर्माण, खनन, बिजली क्षेत्र के उत्पादन स्तर को भौतिक मात्रा को प्रदर्शित करता है। जीडीपी वृद्धि दर से अलग होने की वजह से आईआईपी की शिकायत होती है। आधार वर्ष बदलकर 2011-12 किए जाने से यह आलोचना कुंद होगी, लेकिन इन दो आंकड़ों में अंतर अभी बना रह सकता है।

वहज यह है कि नई जीडीपी श्रंखला के अंतिम आंकड़ों में उद्योगों से आईआईपी के आंकड़ों के सिर्फ एक चौथाई आंकड़े शामिल होते हैं और शेष आंकड़े कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को मिले कॉर्पोरेट फाइलिंग और स्टॉक एक्सचेंज से लिए जाते हैं।

Source: Business Standard

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