नेशनल स्टील पॉलिसी से घरेलू स्टील इंडस्ट्री को लंबे समय तक फायदा मिलेगा। कंपनियों के मुताबिक इस पॉलिसी से घरेलू मार्केट में स्टील क्वालिटी बेहतर होगी और डिमांड में तेजी आएगी। सरकारी टेंडर में घरेलू स्टील कंपनियों को तवज्जों दिए जाने से उन्हें फायदा मिलेगा।
हालांकि, कारोबारी सरकार से प्राइस रेगुलेटर बनाने की मांग कर रहे हैं। ताकि, कंपनियां अपनी मर्जी के मुताबिक कीमतें न बढ़ाए।
डिमांड को मिलेगा बूस्ट
जिंदल स्टील के प्रवक्ता ने बताया कि पॉलिसी का फायदा घरेलू स्टील इंडस्ट्री को मिलेगा। सरकार की कैपेसिटी बढ़ाने की योजना से लंबे समय तक इंडस्ट्री को फायदा मिलेगा। सरकारी ठेके में घरेलू स्टील कंपनियों को प्रेफरेंस देने से डिमांड को बूस्ट मिलेगा।
सरकारी खरीद में घरेलू कंपनियों को तवज्जो से मिलेगा फायदा
मेटल एंड स्टेनलेस स्टील मर्चेंट एसोसिएशन (एमएसएमए) के प्रेसिडेंट जितेंद्र शाह ने बताया कि स्टील ट्रेडर्स और एमएसएमई को सरकारी टेंडर तवज्जों देने का फायदा छोटी यूनिट्स को मिलेगा। स्टील में 15 फीसदी वैल्यू एडिशन कर बेचने का फायदा एमएसएमई को मिलेगा।
सरकारी खरीद में 20 फीसदी हिस्सा होता है एमएमएमई का
सरकार की योजना करीब 59 अरब डॉलर स्टील इंटेसिव इंफ्रास्ट्रक्चर रोड, रेलवे, पावर और पोर्ट पर खर्च करने की है। इन प्रोजेक्ट के लिए 20 फीसदी स्टील की खरीद एमएमएमई इकाइयों से होती है। पीएम नरेंद्र मोदी इंफ्रा प्रोजेक्ट के लिए लोकल स्टील खरीदने पर जोर अधिक है। ऐसे में करीब 12 अरब डॉलर के प्रोजेक्ट के लिए छोटे स्टील कारोबारियों को फायदा मिलेगा।
सरकार बनाए स्टील प्राइस रेगुलेटर
नारायणा के स्टील कारोबारी एस के नरूला का कहना है कि कंपनियों ने बीते एक साल में स्टील के दाम 30 से 60 फीसदी तक बढ़ा दिए हैं। सरकार घरेलू कंपनियों पर फोकस बढ़ाती है तो उनके पास मार्केट का एकाधिकार होगा और वह और कीमतें बढ़ा सकती हैं। सरकार को स्टील की कीमतों को लिए रेगुलेटर बनाना होगा ताकि कंपनियां मनमुताबिक कीमतें न बढ़ाएं।
स्टील पॉलिसी का मकसद
कैबिनेट ने नेशनल स्टील पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। इसके तहत स्टील सेक्टर की कैपासिटी बढ़ाने के लिए 10 लाख करोड़ रुपए के निवेश की योजना है। कैबिनेट का यह फैसला इसलिए भी अहम है, क्योंकि स्टील सेक्टर इन दिनों कमजोर डिमांड और कच्चे माल की बढ़ती कीमतों की परेशानी से जूझ रही है। इस पॉलिसी का उद्देश्य 2030-31 तक डॉमेस्टिक कोकिंग कोल की सप्लाई बढ़ाकर इंपोर्ट पर निर्भरता आधी करना और अलॉय का प्रोडक्शन बढ़ाकर 30 करोड़ टन करना है।
इंडस्ट्री को प्रोत्साहन मिलेगा
पॉलिसी में 2030-31 तक प्रति व्यक्ति स्टील की खपत बढ़ाकर 160 किलोग्राम तक पहुंचाना और इंडस्ट्री को सुरक्षित व टिकाऊ तरीके से एनर्जी और रॉ मैटेरियल इफीशिएंट के लिहाज से वर्ल्ड लीडर बनने के लिए प्रोत्साहित करना है। प्रस्तावित पॉलिसी के तहत ऐसे प्रयास किए जाएंगे जिससे घरेलू स्टील उद्घोग की क्वालिटी को सुधारा जा सके।
Source: Money Bhaskar