नोट बंदी से आए तूफान से बचाव के लिए प्रधानमंत्री ने लिया कर्ज में छूट का सहारा


8 नवंबर 2016 की रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोटों पर प्रतिबंध लगा कर देश पर चल रही समानांतर अर्थव्यवस्था पर लगाम लगाने की ओर एक बड़ा कदम उठाया। जैसा अनुमान था वही हुआ भी। नोट बंदी का सबसे बड़ा असर छोटे और मध्यम उद्योगों पर हुआ क्योंकि इनकी […]


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8 नवंबर 2016 की रात आठ बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 के नोटों पर प्रतिबंध लगा कर देश पर चल रही समानांतर अर्थव्यवस्था पर लगाम लगाने की ओर एक बड़ा कदम उठाया। जैसा अनुमान था वही हुआ भी। नोट बंदी का सबसे बड़ा असर छोटे और मध्यम उद्योगों पर हुआ क्योंकि इनकी अर्थव्यवस्था काफी हद तक नगदी पर निर्भर होती है।

इन उद्योगों में कच्चे माल को कैश पर खरीदा जाता है और मजदूर भी कैश पर ही काम करते हैं। इनमें से अधिकतर मजदूर गांव से पलायन कर शहर में बसने आते हैं और झुग्गियों में बसेरा करते हैं। छोटे उद्योगों पर असर पड़ने से उनकी दिहाड़ी बंद होने लगी, इस वजह से ढेर सारे मजदूर अपने गांव वापस चले गए। एक अनुमान के अनुसार छोटे और मझोले उद्योगों में काम करने वाले लगभग 50% से अधिक मजदूर अपने घर वापस लौट गए हैं।

नोट बंदी की वजह वजह से मैन्युफैक्चरिंग पर बहुत असर पड़ा। इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन के अक्टूबर के 6.86  फीसदी का आंकड़ा गिरकर नवंबर में 4.9 प्रतिशत पर आ गया। सीमेंट का निर्माण अक्टूबर में 6.2 प्रतिशत से गिरकर .5% पर रह गया। यानी कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री एकदम थम गई।

बैंकों द्वारा कर्ज दिए जाने का जो आंकड़ा आरबीआई ने जारी किया है उसके अनुसार नवंबर 2015 में 8.8 प्रतिशत के आंकड़े से घटकर नवंबर 2016 में यह सिर्फ 4.8 फीसदी रह गया।

लेकिन हर रात की सुबह होती होती है। प्रधानमंत्री द्वारा पुरानी करेंसी जमा करने के लिए निर्धारित 30 दिसंबर की अवधि खत्म होने के बाद कुल करेंसी का 97 प्रतिशत बैंकों में वापस जमा हो गया है। ब्लूमबर्ग के अनुसार रिजर्व बैंक द्वारा 500 और 1000 के 15.44 लाख करोड़ नोट जारी किए गए थे। इनमें से 14.97 लाख करोड़ रूपया बैंको में जमा हो चुका है। लेकिन जिस काले धन को लोग बैंक में जमा कर सफेद बनाना चाहते थे, सरकार बैंक अकाउंट्स की छानबीन कर उसे पकड़ने में सफल हो सकती है।

खास बात यह भी है कि यह सभी आंकड़े अभी तक सिर्फ नवंबर तक के लिए है।  दिसंबर के आंकड़े बाकी आने बाकी है। आशंका यही है कि दिसंबर के आंकड़े और भी खराब होंगे। नोट बंदी से छोटे और मझोले उद्योगों को जो भी नुकसान हुआ, सरकार उसका भरपाई करना चाहती है। यही वजह है कि 31 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सेक्टर को राहत पहुंचाने के लिए कई घोषणाएं की। इन उद्योगों को अभी तक सरकार एक करोड़ की रकम तक तक के कर्ज के लिए गारंटी देती थी। लेकिन चूंकि इनका कामकाज प्रभावित हुआ है प्रधानमंत्री ने इस गारंटी को 2 करोड रुपए तक करने की घोषणा की। साथ ही यह भी कहा कि अभी तक यह गारंटी सिर्फ बैंकों से लिए गए कर्ज के लिए थी, अब इसे गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थाएं यानी एनबीएफसी के लिए भी जारी किया जा रहा है।

एक दूसरी बड़ी घोषणा इस क्षेत्र को दिए जाने वाले कर्ज की सीमा को लेकर भी थी। अभी तक किसी लघु उद्योग के सालाना टर्नओवर के सिर्फ 20 फीसदी तक का ही कर्ज उसे दिया जा सकता है, लेकिन प्रधानमंत्री ने इसे बढ़ाकर 25 प्रतिशत करने की घोषणा की। साथ ही अभी तक टर्नओवर का सिर्फ 20% हिस्सा ही वर्किंग कैपिटल के रुप में इस्तेमाल हो सकता था। जिसे अब बढ़ाकर 30 फ़ीसदी करने की घोषणा हो गई है।

उम्मीद है प्रधानमंत्री के इन कदमों से छोटे और मझोले उद्योगों को राहत मिलेगी और नए साल में वह अपने व्यापार को पहले जैसी गति देने में सफल होंगे।

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