देश के प्रमुख उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा है कि पंजाब में गत 10 वर्षों में ज्यादा औद्योगिकीकरण न होने का मुख्य कारण प्रदेश में उद्योग मित्र वातावरण का अभाव है। यदि पंजाब को उद्योग क्षेत्र में तरक्की करनी है तो राज्य सरकार को औद्योगिकीकरण प्रोत्साहित करने के लिए कदम उठाने होंगे।
इस संदर्भ में एसोचैम ने पंजाब की अमरेंद्र सरकार के लिए एक पत्र भी जारी किया।
मीडिया कांफ्रेंस में एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी.एस. रावत और थॉट आर्बिट्रेज रिसर्च इंस्टीच्यूट (टारी) की निदेशक क्षमा वी. कौशिक ने कहा कि राज्य सरकार को ऐसी व्यापक औद्योगिक नीति की घोषणा करनी होगी जो लघु व मध्यम उद्योग (एसएमई) क्षेत्र को ‘शेर-ए-पंजाब’ का पुराना रुतबा दिलवा सके और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता को बढ़ा सके। एसोचैम ने सिफारिश की है कि फ्री बिजली की सुविधा केवल छोटे किसानों को ही दी जानी चाहिए जबकि मीडियम और बड़े किसानों से बाजार या फिर कुछ रियायती दरों पर बिजली बिल वसूला जाना चाहिए।
इस दृष्टि-पत्र में सुझाव दिया गया है कि राज्य सरकार को कृषि उत्पादों, औद्योगिकी, दूध तथा अन्य डेयरी उत्पादों, कपास तथा कपड़ा उत्पादन जैसी गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। इन क्षेत्रों का पंजाब की अर्थव्यवस्था से मजबूत नाता है। दृष्टि-पत्र के अनुसार पंजाब को दाल, तिलहन, कपास, मक्का, बाजार, सब्जियां तथा फलों जैसी अपेक्षाकृत कम पानी की आवश्यकता वाली फसलों के उत्पादन को बढ़ावा देने की जरूरत है।
इसके लिए उन्नत बीजों की उपलब्धता तथा बाजार का सहयोग दिलवाने वाले तंत्र के जरिए किसानों को इन फसलों का उचित मूल्य दिलवाना सुनिश्चित करना होगा। धान की खेती का रकबा कम किया जाना चाहिए और कपास, फल, सब्जी, पीली सरसों, मेथी तथा हल्दी आदि अधिक मूल्यवान फसलें उगाने पर ध्यान दिया जाना चाहिए ताकि कृषि रकबे में उनकी हिस्सेदारी मौजूदा 3.4 प्रतिशत से अधिक को सके।
Source: Punjab Kesari