सरकार नोटबंदी के बाद बने हालात को देखते हुये अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन देने के लिये आगामी बजट में प्रत्यक्ष करों में व्यापक फेरबदल कर सकती है।
भारतीय स्टेट बैंक की एक शोध रिपोर्ट ‘इकोरैप’ के अनुसार आगामी बजट में व्यक्तिगत आयकर छूट सीमा बढ़ सकती है। आयकर की धारा 80सी के तहत विभिन्न निवेश और बचत पर मिलने वाली छूट सीमा भी बढ़ाई जा सकती है। आवास ऋण के ब्याज पर भी कर छूट की सीमा बढ़ सकती है।
नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था की पूरी तस्वीर बदल गई है। चालू वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जबकि पिछले साल यह 7.6 प्रतिशत रही थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस साल बजट को लेकर चुनौतियां पहले से ज्यादा हैं।
नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था में गतिविधियां बढ़ाने के लिये प्रत्यक्ष करों में फेरबदल हो सकता है। वर्तमान में 2.5 लाख रुपये तक की व्यक्तिगत आय पर कोई कर नहीं है। 2.5 लाख रुपये से 5 लाख तक 10 प्रतिशत, 5 से 10 लाख रुपये तक की वार्षिक आय पर 20 प्रतिशत और 10 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत की दर से आयकर लगता है।
आयकर छूट सीमा को 2.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये किया जा सकता है और बैंकों में 5 साल की सावधि जमा के बजाय 3 साल की सावधि जमा पर कर छूट दी जा सकती है।
आवास ऋण के ब्याज पर मिलने वाली कर छूट सीमा 2 लाख से बढ़कर 3 लाख रुपये की जा सकती है। ये अनुमान एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट में बताए गए हैं।
एसबीआई की यह रिपोर्ट मुख्य आर्थिक सलाहकार और महाप्रबंधक आर्थिक शोध विभाग सौम्या कांती घोष ने तैयार की है।
रिपोर्ट में कहा गया है, “इस तरह की छूट देने से सरकारी खजाने पर 35,300 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।” शोध के अनुसार आय घोषणा योजना (आईडीएस) के तहत करीब 50,000 करोड़ रुपये की कर वसूली और नोटबंदी की वजह से निरस्त देनदारी के तौर पर करीब 75,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है।
Source: The Economic Times