बीमार उद्यमों को मिलेगी राहत!


उत्तर प्रदेश सरकार संकटग्रस्त सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को बड़ी राहत दे सकती है। राज्य सरकार एमसएसएमई उद्योग के लिए एक ‘प्रोग्रेसिव एक्जिट पॉलिसी’ का खाका तैयार कर रही है। बीमार और बंद हो चुकीं औद्योगिक इकाइयों के लिए एक्जिट पॉलिसी लंबे समय से विचाराधीन थी और राज्य में कई सरकारें बदलने के […]


sick unitउत्तर प्रदेश सरकार संकटग्रस्त सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों (एमएसएमई) को बड़ी राहत दे सकती है। राज्य सरकार एमसएसएमई उद्योग के लिए एक ‘प्रोग्रेसिव एक्जिट पॉलिसी’ का खाका तैयार कर रही है। बीमार और बंद हो चुकीं औद्योगिक इकाइयों के लिए एक्जिट पॉलिसी लंबे समय से विचाराधीन थी और राज्य में कई सरकारें बदलने के बाद भी यह मूर्त रूप नहीं ले पाई थी।

एमएसएमई उद्योग लंबे अरसे से इस नीति की मांग कर रहा था, जिसके तहत बीमार और बंद एमएसएमई इकाइयों के प्रवर्तकों को नया उद्यम शुरू करने या फंसी परिसंपत्तियां बेचने का अधिकार मिलेगा। उत्तर प्रदेश में एमएसएमई एवं निर्यात प्रवद्र्धन के प्रमुख सचिव रजनीश दुबे ने कहा कि पिछले कई सालों से विचाराधीन एक्जिट पॉलिसी पर अब गंभीरता से विचार हो रहा है।

5 अप्रैल को योगी आदित्यनाथ सरकार मंत्रिमंडल की पहली बैठक में राज्य सरकार ने नई उत्तर प्रदेश औद्योगिक नीति बनाने के लिए मंत्रियों का एक समूह गठित किया था। मंत्रियों के इस समूह की अध्यक्षत उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा कर रहे हैं और वरिष्ठï मंत्री राजेश अग्रवाल, सतीश महाना, गोपाल दास नंदी और श्रीकांत शर्मा इसके सदस्य हैं। समूह को औद्योगिक रूप से संपन्न राज्यों जैसे गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश जाकर उनकी नीतियों का अध्ययन कर उत्तर प्रदेश में औद्योगीकरण एवं निवेश को बढ़ावा देने के लिए खाका तैयार करने का दायित्व सौंपा गया है।

एमएसएमई क्षेत्र उत्तर प्रदेश की औद्योगिक व्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण है और सालाना औद्योगिक उत्पादन में इसकी हिस्सेदारी 60 प्रतिशत तक है। यह क्षेत्र राज्य के 4 करोड़ लोगों को सीधे रोजगार देता है और सालाना 1,20,000 करोड़ रुपये मूल्य का सालाना कारोबार सृजित करता है। राज्य में करीब लाख एमएसएमई हैं और कृषि के बाद यह रोजगार देने वाला दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्र है। ‘इंस्पेक्टर राज’  समाप्त करने के लिए योगी सरकार महाराष्ट्र की नीति का अध्ययन कर रही है। इसके अलावा राज्य सरकार निजी औद्योगिक क्षेत्र और पार्क स्थापित करने पर विचार कर रही है, जो पूरे राज्य में 20-100 एकड़ क्षेत्र में फैले होंगे। इससे राज्य में औद्योगीकरण और स्टार्ट-अप को बढ़ावा मिलेगा।

इस बीच उत्तर प्रदेश एमएसएमई और निर्यात संवद्र्धन मंत्री सत्यदेव पचौरी ने इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) से संबद्ध उद्योगपतियों के साथ एक बैठक की अध्यक्षता की थी। इस बैठक का मकसद मंत्री समूह को उद्योपतियों के विचार से अवगत कराना था। नई नीति में राज्य एमएसएमई क्षेत्र के लिए भी प्रावधान होंगे। नई औद्योगिक नीति में सिंगल विंडो सिस्टम से जुड़ी एमएसएमई की मांग पर भी विचार हो रहा है। मंत्री समूह तेलंगाना और गुजरात में अपनाई जाने वाली सिंगल विंडो सिस्टम का अध्ययन कर रही है। राज्य सरकार ऐसी ही व्यवस्था लाकर राज्य में पारदर्शिता और निपटान प्रक्रिया में तेजी लाना चाहती है। एमएसएमई उद्योग ने यह भी मांग की है कि सिंगल विंडो व्यवस्था को वैधानिक दर्जा देने के लिए इसे कानून का शक्ल देना चाहिए। पचौरी ने कहा कि सरकार इस उद्योग की समस्याएं दूर करने के लिए बहुआयामी नीति पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उद्योग जगत को हर संभव मदद मुहैया कराएगी। पचौरी ने कहा कि औद्योगिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए राज्य सरकार संपर्क व्यवस्था में सुधार पर भी जोर दे रही है।

Source: Business Standard

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