बेस इयर में बदलाव के बाद इंडस्ट्रीयल ग्रोथ 5 प्रतिशत उछला


केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) ने इंडस्ट्रीयल प्रॉडक्शन की इंडेक्स में शुक्रवार को बदलाव करते हुए बेस इयर को बदल दिया है। CSO ने इंडस्ट्रीयल सेक्टर में इतने साल में हुए बदलावों को सही तरह से दिखाने के लिए कैलकुलेटर्स, गुटखा और रंगीन पिक्चर ट्यूब्स जैसी चीजों को इस इंडेक्स से हटा कर नए आइट्म्स को […]


MSME-SEctorकेंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO) ने इंडस्ट्रीयल प्रॉडक्शन की इंडेक्स में शुक्रवार को बदलाव करते हुए बेस इयर को बदल दिया है। CSO ने इंडस्ट्रीयल सेक्टर में इतने साल में हुए बदलावों को सही तरह से दिखाने के लिए कैलकुलेटर्स, गुटखा और रंगीन पिक्चर ट्यूब्स जैसी चीजों को इस इंडेक्स से हटा कर नए आइट्म्स को शामिल कर लिया है।

स्टैटिस्टिक्स ऑफिस ने बेस इयर को 2004-05 से बदलकर 2011-12 कर दिया है। जिस कारण उद्योगों की आउटपुट ग्रोथ 2016-17 में 5% की तेजी से बढ़ी। यह 2004-05 के बेस इयर रहते 0.7% थी। मार्च में इंडस्ट्रीयल आउटपुट 2.7% बढ़ा जो मार्च 2016 में 5.5% था।

इंडस्ट्रीयल आउटपुट डेटा को सुधारने के लिए नई सीरीज में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के 809 आइटम्स हैं। CSO ने 149 नए आइटम्स को नई सीरीज में शामिल किया है। इससे पहले वाली सीरीज में 620 आइटम्स थे। नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों द्वारा बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए इस सेगमेंट का डेटा भी जोड़ा गया है। इसके साथ ही इंडस्ट्रीयल डेटा में इन्फ्रास्ट्रक्चर और कंसट्रक्शन की एक नई श्रेणी भी शामिल की गई है और खनन क्षेत्र में कुछ बदलाव किए हैं।

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि नई सीरीज देश की अर्थव्यवस्था में इतने साल में हुए बदलावों को दिखाती है।

पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने कहा, ‘यह ज्यादा सही है। साथ ही यह नए जीडीपी आंकड़ों के करीब है।’ उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में होने वाले बदलावों के साथ बढ़ने के लिए रिविजन जल्दी-जल्दी होना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘यह रिविजन भी 6 साल पुराना है क्योंकि अब 2017-18 चल रहा है। अगले रिविजन पर तुरंत काम शुरू हो जाना चाहिए।’

Source: Economic Times

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