भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अनुसार, एमएसएमई क्षेत्र भारत की राष्ट्रीय आर्थिक संरचना की रीढ़ है। सीआईआई ने कहा है कि वैश्विक आर्थिक मंदी के समय में यह सेक्टर भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत करता है। सीआईआई की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत के शहरों के विकास में और ग्रामीण आबादी को रोजगार देने में एसएमई सेक्टर महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।
एसएमई सेक्टर का विकास शहरों के विकास में भी तेजी लाने में कामयाब रहा है और प्रत्येक क्षेत्र में व्यक्तिगत आर्थिक परिदृश्य में सुधार करने में इस सेक्टर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। साथ ही एसएमई सेक्टर ने टियर 1 और टियर 2 श्रेणी के शहरों के विकास में भी अहम् कड़ी रहा है।
रिपोर्ट के अनुसार एसएमई सेक्टर की ये कामयाबी अब सिर्फ टियर 1 और टियर 2 श्रेणी के शहरों तक सीमित नहीं है। बल्कि टियर 3 और टियर 4 श्रेणी के शहर भी अब एसएमई से फ़ायदा उठा रहे हैं। और इन्वेस्टर्स भी अब टियर 3 और टियर 4 श्रेणी के शहरों की एसएमई इकाइयों में इन्वेस्ट कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार अब इन शहरों में टियर 1 और टियर 2 श्रेणी के शहरों की अपेक्षा ज्यादा अवसर उपलब्ध हैं।
सीआईआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि एसएमई का विकास और विस्तार शहरों तक ही सीमित नहीं हैं। 55.3 प्रतिशत एमएसएमई इकाइयाँ ग्रामीण क्षेत्रों से बाहर स्थित हैं, जो निश्चित रूप से एमएसएमई क्षेत्र में भारत की महत्वपूर्ण ग्रामीण श्रम शक्ति की आबादी के उपयोग दर्शाता हैं। इसके अलावा, यह सेक्टर रोजगार का सृजन विशेष रुप से ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर करता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के शहर एसएमई हब के रूप में उभर रहे हैं जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
गौरतलब है कि देश में 51.1 मिलियन से अधिक एमएसएमई यूनिट्स हैं व एमएसएमई क्षेत्र विनिर्माण क्षेत्र की जीडीपी में 7 प्रतिशत तक योगदान देता है। इस सेक्टर का सर्विस क्षेत्र की जीडीपी में योगदान 31 प्रतिशत और भारत के कुल मेन्यूफैक्चरिंग आउटपुट में 37 फीसदी योगदान है।
साथ ही एमएसएमई क्षेत्र रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभाता है। एमएसएमई सेक्टर के तहत लगभग 120 मिलियन से अधिक लोगों को रोज़गार मिलता है। व्यापार के संदर्भ में भी भारतीय एसएमई देश के कुल निर्यात में लगभग 46 प्रतिशत योगदान करते हैं, जिसमें 10% वृद्धि दर बरकरार है।