रेडीमेड गारमेंट में नहीं हो रहा ‘मेक इन इंडिया’, बांग्लादेश, चीन को मिला फायदा


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया कैंपेन का असर टेक्सटाइल सेक्टर में नहीं दिख रहा है। भारत के एक बड़े बाजार का चीन, बांग्लादेश और विएतनाम फायदा उठा रहे हैं। भारत में कारोबार कर रहे हैं बड़े विदेशी ब्रांड अपने स्टोर्स में ज्यादातर प्रोडक्ट मेड इन बांग्लादेश, मेड इन वियतनाम की सेल कर रहे […]


techni'l textile sectorप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मेक इन इंडिया कैंपेन का असर टेक्सटाइल सेक्टर में नहीं दिख रहा है। भारत के एक बड़े बाजार का चीन, बांग्लादेश और विएतनाम फायदा उठा रहे हैं।

भारत में कारोबार कर रहे हैं बड़े विदेशी ब्रांड अपने स्टोर्स में ज्यादातर प्रोडक्ट मेड इन बांग्लादेश, मेड इन वियतनाम की सेल कर रहे हैं। इसकी वजह से घरेलू मैन्युफैक्चर्स को नुकसान हो रहा है।

इंडस्ट्री के अनुसार कंपनियों को बांग्लादेश और वियतनाम के प्रोडक्ट सस्ते पड़ रहे हैं। जिसकी वजह से वह घरेलू प्रोडक्ट को नहीं खरीद रहे हैं

रॉ-मैटिरियल इंडिया का लेकिन मेड इन बांग्लादेश

नागपुर गारमेंट मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राहुल मेहता ने बताया कि विदेशी ब्रांड इंडिया से फैब्रिक खरीदकर बांग्लादेश, वियतनाम जैसे देशों के मैन्युफैक्चरर्स को फिनिश्ड प्रोजक्ट के लिए भेजते हैं। जहां से फिर उसे इम्पोर्ट किया जाता है।

इसका नुकसान घरेलु मैन्युफैक्चर्स को हो रहा है। सरकार को भी फॉरेन ट्रेड पॉलिसी और ड्युटी को कम करना होगा ताकी ये कारोबार घरेलू टैक्सटाइल कारोबारियों को मिले।

बड़े ब्रांड का क्या है कहना

कंपनियों के अनुसार बांग्लादेश, विएतनाम से भारत के मुकाबले इम्पोर्ट सस्ता है। ऐसे में वह भारतीय मार्केट की जगह से विदेशी मार्केट को प्राथमिकता देते हैं। एचएंडएम के प्रवक्ता ने कहा कि एचएंडएम पूरे एशिया से रेडीमेड गारमेंट सोर्स करता है। ऐसा नहीं है कि वह मेड इन इंडिया को प्राथमिकता नहीं देता है।

बांग्लादेश, वियतनाम और एशिया के दूसरे देशों से भी कंपनी ने मैन्युफैक्चरों के साथ करार कर रखा है। एशिया में हम किसी भी आउटलेट पर अपने प्रोडक्ट को सेल कर सकते हैं।

सस्ते इंपोर्ट से परेशान हैं कारोबारी

बांग्लादेश, वियतनाम, चीन से हो रहे सस्ते इंपोर्ट से घरेलू मैन्युफैक्चरर परेशान है। वह सरकार से टेक्सटाइल इंडस्ट्री की मदद करने की मांग कर रहे हैं।

इंडस्ट्री के मुताबिक 60 फीसदी इंपोर्ट चीन से हो रहा है। अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के वाइज चेयरमैन एच के मग्गु के मुताबिक अगर ऐसा चलता रहा तो, कुछ सालों में घरेलू टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर चीन का कब्जा होगा। यहां मैन्युफैक्चरिंग खत्म हो जाएगी। सरकार को इस दिशा में काम करना होगा। करीब 8-10 फीसदी घरेलू प्रोडक्शन यानी करीब 25,000 टन महीने का नुकसान पहुंच रहा है।

क्यों बांग्लादेश बन रहा है फेवरिट

बांग्लादेश के फेवरेबल ड्युटी स्ट्रक्चर है, वहां रॉ मैटेरियल के इंपोर्ट पर जीरो फीसदी इंपोर्ट ड्युटी है। बांग्लादेश, वियतनाम के यूरोपियन यूनियन के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट है। यानी यदि भारत से रॉ-मेटेरियल बांग्लादेश इंपोर्ट होता है, तो उस पर कोई ड्युटी नहीं लगती। बांग्लादेश में लेबर कॉस्ट भारत के मुकाबले आधी है।

अपैरल में चीन के बाद बांग्लादेश दूसरा और वियतनाम सोर्सिंग के लिए तीसरा विकल्प बन रहा है। कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (सीआईटीआई) के सेक्रेटरी जनरल बिजॉय जॉब ने बताया कि उदाहरण के लिए यदि रेडीमेड गारमेंट की कॉस्ट बांग्लादेश में 100 रुपए पड़ती है, तो इंडिया में वही कॉस्ट सभी टैक्स और ड्युटी मिलाकर 134 रुपए पड़ती है।

एक्सपोर्ट में बांग्लादेश, भारत से निकला आगे

2014 में बांग्लादेश का अपैरल एक्सपोर्ट 24.58 बिलियन डॉलर रहा और भारत का एक्सपोर्ट 16.53 डॉलर रहा। वहीं, चीन का अपैरल एक्सपोर्ट साल 2014 में 173.42 बिलियन डॉलर रहा। अपैरेल के विश्व बाजार में भारत की हिस्सेदारी 4 फीसदी, बांग्लादेश की 6 फीसदी, वियतनाम की 3.6 फीसदी और चीन की 35 फीसदी है।

Source: Money Bhaskar

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