लेटेस्ट टेक्नोलॉजी अपनाने से चीन, थाईलैंड और वियतनाम दे रहे एमएसएमई को चुनौती


भारतीय माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमई) को जहां आंतरिक और बाहरी कंपीटिशन के कारण बुरे दौर से गुजरना पड़ रहा है। वहीं, चीन, थाईलैंड और वियतनाम से भी एमएसएमई काे कड़ी चुनौती मिल रही है। यह बात चेंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कॉमर्शियल अंडरटेकिंग (सीआईसीयू) की ओर से स्टडी ऑन आईटी शॉर्ट कमिंग फॉर एमएसएमई […]


MSME-SEctorभारतीय माइक्रो, स्मॉल एंड मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमई) को जहां आंतरिक और बाहरी कंपीटिशन के कारण बुरे दौर से गुजरना पड़ रहा है। वहीं, चीन, थाईलैंड और वियतनाम से भी एमएसएमई काे कड़ी चुनौती मिल रही है। यह बात चेंबर ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कॉमर्शियल अंडरटेकिंग (सीआईसीयू) की ओर से स्टडी ऑन आईटी शॉर्ट कमिंग फॉर एमएसएमई पर कराए सेमिनार में प्रेसिडेंट अवतार सिंह ने कारोबारियों को संबोधित करते हुए कही।

उन्होंने बताया कि इसका कारण भारतीय एमएसएमई अपने पुराने दर्रे पर चल रही है। इसमें ज्यादातर अपना फैमिली बिजनेस कर रहे हैं। जबकि जिन्होंने लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को अपना लिया है, वह पिछले 20 साल में काफी ग्रोथ कर गए हैं। इस दौरान जनरल सेक्रेटरी उपकार सिंह आहूजा ने कहा कि अगर हमें चीन से मुकाबला करना है तो मैन्युफैक्चरिंग और मार्केटिंग के लिए हार्डवेयर के साथ-साथ साफ्टवेयर जैसे आईटी टूल को अपनाना होगा। क्योंकि चीन ने पिछले 10 साल में वेबसाइट, ई-मेल्स, मोबाइल एप के जरिए ही ग्रोथ की है।

सीआईसीसू ने 10 लाख से 5 करोड़ रुपए की टर्नओवर वाले बाइसाइकिल पार्ट्स, ऑटोमोटिव कम्पोनेंट, सुइंग मशीन हैंड टूल्स आदि 200 एमएसएमई यूनिट पर स्टडी की तो सामने आया कि मात्र 27 प्रतिशत यूनिट ही बेवसाइट से जुड़े हैं, 73 प्रतिशत यूनिट ही डायरेक्ट ट्रेड कर रहे हैं, 80 प्रतिशत यूनिटों का कंप्यूटर अकांउट है और 20 प्रतिशत अभी तक अपना रिकॉर्ड किताबों के सहारे ही चला रहे हैं।

इतना ही नहीं स्टडी करने पर यह भी सामने आया कि मात्र 44 प्रतिशत कंपनियां ही कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल का इस्तेमाल कर रही हैं। जबकि बाकी सभी पारंपरिक ढंग से ही मार्केटिंग कर रही हैं। आहूजा ने बताया कि उन्होंने एमएसएमई-डीआई डायरेक्टर विजय कुमार के साथ एमएसएमई मंत्री कलराज मिश्र से मिल उन्हें इंडस्ट्री को डिजिटलाइजेशन करने के सुझाव भी दिए हैं।

Source: Bhaskar.com

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